कोरोना वायरस महामारी (COVID-19) और छह हफ्ते के लंबे देशव्यापी लॉकडाउन से पंजाब में औद्योगिक इकाइयां और कृषि क्षेत्र को लेकर मुश्किलें बढ़ गई हैं। लॉकडाउन की करीब 40 दिन की अवधि में राज्य के औद्योगिक और अन्य इकाइयों में कार्यरत भारी संख्या मे मजदूर अपने शहर और गांव वापस जा चुके हैं। पंजाब प्रदेश चाहे इंडस्ट्री खोलने में राहत देने की बात बोल रही हो या फिर कंस्ट्रक्शन साइट चला कर सैकड़ों मजदूरों को रोजगार देने के दावे कर रही है। लेकिन असलियत यह है कि पंजाब से प्रवासियों का पलायन लगातार जारी है। मंगलवार को रात लगभग 10:45 बजे लुधिअना जीटी रोड से लगभग 500 से ज्यादा प्रवासी लोग यूपी और बिहार के लिए पैदल जाने को निकले है। इसमें लुधियाना शहर के प्रवासी मजदूर शामिल हैं। हैरानीजनक बात है कि इसमें कुछ प्रवासी अपने पूरे परिवार को साथ लेकर पैदल निकले। इसमें उनके छोटे बच्चे भी शामिल थे। बिहार जाने वालो मे से कुछ लोग भूषण, पप्पू यादव, धनजीत, विपिन, रामबचन, सुरेंदर, विशाल, बिहार के बक्सर जिला छपरा सिवान के है। ये लोग पैदल ही अपने परिवार के साथ निकाल पड़े है। तो वही उत्तर प्रदेश के लखनऊ आजमगढ़ फैजाबाद जाने वाले लोग घनश्याम अनुराग पिंटू अनीश बैगन यादव शीला देवी भगवती देवी छोटे छोटे बच्चे को लेकर पैदल हजारो किलोमीटर जाने को मजबुर है, इन्होने बताया कई दिनो से खाने को नही मिल रहा। राशन के लिये जारी किया गया कोई भी टोल फ़्री नम्बर पर फोन नही लगता, 1905 पर फोन करने पर लगता नही है। सरकार के तरफ से भेजा गया खाना नही मिला भूख से मजबुर होकर गाव की राह पर निकले हैं । प्रवासी मजदूरों के लगातार पलायन के पीछे एक ही कारण बताया जा रहा है। भूख अगर यही हालात रही तो आने वाले दिनों में औद्योगिक शहर लुधियाना में कारोबारियों को मजदूरों के लाले पड़ सकते हैं।
वही पंजाब सरकार की तरफ से प्रवासी मजदूरो को उनके राज्य पहूचाने के लिये लुधियाना से ट्रेन का परिचालन किया गया। मंगलवार रात को एक ट्रेन प्रयागराज के लिये 900 यात्रियो के साथ गई ।
निखिल दुबे,