दरभंगा। लॉक डाउन के बीच इस बार घरों से की चल रहे रोजा और नमाज नन्हे रोजेदार कम नहीं हुआ है। बच्चों का उत्साह जिस तरह से पिछले साल जिस तरह से इंतजार होता था रमजान के आने का व रोजा रखने, तरावीह पढ़ने का जमात में नमाज अदा करने का रहता था इन्तेजार। लेकिन इस बार बात ही कुछ और हैं लॉक डाउन को लेकर मस्जिदे खामोश सी हो गई। 4 से 5 लोग ही नमाज अदा करते हैं कभी पूरी की पूरी मस्जिद भरी हुआ करती थी। लोग एक दूसरे को इफ्तार की दावत दिया करते थे। लेकिन अब इस रमजान किसी को बुलाना तो दूर खुद भी किसी अपनो के यहां इफ्तार पर नही जा सकते हैं। रमजान के आने से पूर्व बेसब्री से रहता था। इस साल भी कोरोना संक्रमण के बीच बच्चों ने भी रखा रोजा करमगंज स्थित मोहम्मद आरजू के 6 वर्षीय पुत्र आयान आरजू वह 10 वर्षीय अरूफ आरजु और 8 वर्षीय दुलारे बाबू ने रखे रोजे परिवार के बड़े बुजुर्गों के साथ लंदन का पालन करते हुए रोजा खोला गया। अबदुल कयूम, अशरफ अंसारी आदि ने भी साथ रोजे खोले। और अल्लाह से कोरोना संक्रमण से देश , दुनिया की हिफाजत करने को लेकर दुआ किया गया। आज पूरी दुनिया में कोरोना वायरस एक बड़ी महामारी को लेकर लोग मस्जिदों में नमाज नहीं कर पा रहे हैं। इस रमजान लॉक डाउन का पालन सभी नमाजी और रोजेदार कर रहे हैं। जिंदगी के हैं चार दिन की मुसीबत लॉक डाउन का पालन करते हुए घरों से इबादत करे आवश्यक होने पर ही बाहर निकले।
नासिर हुसैन, संवाददाता