पटना – (संवाददाता) – मां दुनियां की तमाम दौलत के सामने कीमत अनमोल है माँ, माँ होती है ममता से भरा आँचल , बच्चों के लिए दुनिया की हर खुशी तथा वस्तु का यूँ ही त्याग देने वाली आशीर्वाद का खजाना तपस्या व कुर्वानी देने हेतु सतत प्रयत्नसिल होती है। माँ – माँ थी जो मन मे एक उमंग की किरण जगती थी। माँ से जब चाहे तो जलौंध जाकर मिल लुंगी, मेरी गाडी की आवाज़ मिलते ही बाहर कुर्सी निकाल कर बैठ जाती थी आज वो धारासायी हो गया। सब कुछ मिल जायेगा,पर वो माँ नहीं मिलेगी। जो पृथ्वी पर लाकर पालनहार , प्रथम पाठशाला की गुरू, जीवन मे किसी भी प्रकार की समस्या से निजात मिलने की कला तथा स्वाबलंबी के साथ साथ स्वाभिमान से जीना सिखलाई आज वहीं प्रेरणा मेरी जीवन की सूत्रधार बनी हुई है। दुनियां की तमाम माँ से अच्छी हमारी माँ थी विकट समस्या मे भी धैर्य की मिशाल थी। हमारी माँ राष्ट्र के प्रति प्रेम सामाजिक लोगो के प्रति उदारता मेरी माँ के अंदर कूट कूट कर भरी थी, आज मातृ दिवस के दिन काफ़ी बेचैनी महसूस होते आँखे बुरी तरह भर आई है, प्रभु से बारम्बार प्रार्थना करती हूँ मै जब जब जन्म लूँ हर जन्म मे मेरी माँ ही माँ मिले। ममता और प्यार का दूसरा नाम ही “मां” होती है जो अपने बच्चों से निस्वार्थ प्यार करती है। पूरी दुनिया तो हमें जन्म लेने के बाद जानती है लेकिन एक “मां” ही होती है जो हमें गर्व से ही जानना शुरू कर देती है यानी एक इंसान के जीवन की शुरुआत “मां” के आशीर्वाद से ही होता है। जब हम पैदा होते हैं, होकर चलना हैं , खाना पीना शुरू करते हैं या फिर पढ़ाई लिखाई के लिए आगे बढ़ते हैं हर स्थिति में “मां”से ही इन चीजों की शुरुआत होती है ।चाहे हमें भूख लगती है तो अपना दूध पिलाती हैं जब दांत आ जाते हैं तो अपने हाथों से प्यार से हमें खाना खिलाती हैं और पढ़ने के लिए सबसे पहले हमारी पहली शिक्षिका “मा” बनती हैं ।
“मां” जन्नत का फूल है, प्यार करना उसका वसूल है। यानी मां ही ऐसी होती है जो अपने दुखों को भूल कर अपने बच्चों की परवरिश करती हैं भले ही मां भूखी सो जाए लेकिन कभी भी कोई मां अपने बच्चों को भूखे नहीं सोने देती हैं। इतना ही नहीं बल्कि अपनी लोरियां सुना कर सुलाती हैं। और अपने बच्चों को परियों राजाओं राजकुमारों आदि की कहानियां सुनाकर रोमांचित करती हैं। अपने बच्चों को देखकर हमेशा खुश होती है अगर बच्चों को थोड़ा सा भी दुख होता है तो मां विचलित हो उठती है और अपने सारे गमों को भूलकर अपने बच्चों के दुख को दूर करने में लग जाती है। इस तरह हर किसी की ऐसी प्यारी मां होती है।
मां शब्द सुनकर ही हमारा मन प्रफुल्लित हो जाता है ऐसे में जिस प्रकार हमारी मां हमारी देखभाल करती है ठीक वैसे ही हमें भी अपने मां बाप की सेवा करनी चाहिए तभी हम एक अच्छे इंसान एवं अच्छे संतान का फर्ज निभा सकते हैं। मातृ दिवस हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को पूरी दुनिया में मनाई जाती है। वैसे हर एक दिन मातृ दिवस ही होता है बिना मां का कोई दिन नहीं होता है।
“मां ममता की अनमोल दस्तान है,
जो हर दिल पर अंकित है”।