दरभंगा-विश्वविद्यालय अवस्थित स्वास्थ केंद्रों को मृत न होनें दिया जाय । पूर्व के आधिकारिक आदेश के मद्देनजर बिश्वविद्यालय के स्वास्थ केंद्र के कार्यरत चिकित्सकों के अवकाश ग्रहण से स्वतः मरणशील घोषित कर दिए जायेंगें । उक्त बातें शिक्षाविद प्रो. जयशंकर झा नें कही । प्रो. झा नें सरकार और राजभवन से अपील की हैं कि शिक्षक, शिक्षकेत्तर कर्मियों एवं बिशेषतः छात्रावास में रहनें वालें हजारों छात्र – छात्राओं को त्वरित मेडिकल सुविधाओं एवं आपात सेवाओं से वंचित नहीं किया जाय । यू. जी. सी द्वारा प्रदत्त करोड़ो के संसाधन यथा एम्बुलेंस, एक्सरे-मशीन, रिफ्रेक्टोमीटर, एवं अन्य उपकरण मिथिला एवं संस्कृत बिश्वविद्यालय समेत प्रान्त के सभी बिश्वविद्यालय स्वास्थ केंद्रों पर सड़ रहें हैं । आगें प्रो. झा नें सवालिया लहजे में कहा कि यू.जी.सी के नैक मूल्याकंन में लाइब्रेरी, बिश्वविद्यालय प्रेस एवं स्वास्थ्य केंद्र को अनिवार्य किया गया हैं तो स्वास्थ केंद्रों को मरणशील करना समझ से पड़े हैं । साथ ही उन्होंनें मिथिला बिश्वविद्यालय के संबंध में अनुरोध किया कि 30 अप्रैल को डॉ. गीतेन्द्र ठाकुर के सेवानिवृत्त होनें से लॉकडाउन के बाद बिश्वविद्यालय खुलनें पर यहाँ मिल रहें चिकित्सकीय परामर्श, पैथोलोजिकल जाँच,हेपिटाइटिस, रक्तचाप जाँच,नेत्र परीक्षण एवं आपात सेवार्थ एम्बुलेंस का उपयोग आदि से न केवल परिसर के लोग वंचित होंगें अपितु शहर के विभिन्न कॉलेज के कर्मी एवं छात्र – छात्राएं भी वंचित हों जायेंगें । अतः उन्होंनें सरकार और राजभवन से वैकल्पिक ब्यबस्था के तौर पर 05 मई को हुए सिंडिकेट के निर्णय के आलोक में स्थायी ब्यबस्था नहीं होनें तक सरकार मानदेय के समतुल्य राशि के आधार पर 70 बर्ष की आयु तक डॉ .ठाकुर की सेवा ली जाय । संस्कृत बिश्वविद्यालय समेत अन्य बिश्वविद्यालयों में भी सृजित पदों पर स्थायी ब्यबस्था नहीं होनें तक योग्य मानदेय के समतुल्य राशि देकर चिकित्सक एवं कर्मियों को की सेवा लेते हुए स्वास्थ केंद्रों को चालू किया जाय । वैश्विक महामारी कोरोना के परिपेक्ष्य में भी स्वास्थ केंद्रों का संचालन होनें से शहर के अन्य स्वास्थ केंद्रों पर दबाब होगा और पूर्व की भांति परिसर में समुचित इलाज हों पाएगा ।
मोहन चन्द्रवंशी, संवाददाता
