एक वक़्त था की मिथिला देश का सबसे इंडस्ट्रीयलाइज्ड एरिया हुआ करता था। लगभग हरेक जिले में कोई ना कोई औद्यौगिक मिल या संयंत्र था। कटिहार, किशनगंज, भागलपुर से लेकर मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, चंपारण तक चीनी मिल, जुट मिल, खाद मिल, पेपर मिल, सिल्क उद्योग, सुत उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का जाल बिछा हुआ था। लाखों लोगों को डायरेक्ट रोजगार के साथ साथ करोड़ों किसानों को फायदा पहुंचता था। मिथिला वाज वंस एन इंडस्ट्रीयल जोन, एक उत्पादक क्षेत्र हुआ करता था। हमारे यहां आने वाले ट्रक खाली आते थे और जाने वक्त औद्यौगिक उत्पादन से भर कर।
आज मिथिला लेबर जोन बन गया है। आज हमारे सारे मिल और उद्योग बंद हो चुके हैं। हमारे यहां आने वाले ट्रक आज भर कर आते हैं और जाते वक्त खाली। आज औद्यौगिक उत्पादन के नाम पर हमारे यहां कुछ भी नहीं उत्पादित होता है। हमारे लोग हजारों किलोमीटर मजदूरी करने जाने को मजबूर हैं। हमारी मिलें खंडहर हो चुकी हैं।
नितेश