कोरोना महामारी को लेकर चीन के साथ-साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी घिरता जा रहा है. भारत सहित 62 देशों ने कोरोना पर WHO की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की है। सभी देशों ने इस संबंध में एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसे आज से शुरू हुई वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली में पेश किया जाएगा। ड्राफ्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के विषय में विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिक्रिया एवं सक्रियता की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। कोरोना वायरस कैसे पैदा हुआ इस सवाल को पूछने वाले देशों में अब भारत भी शामिल हो गया है। दरअसल सोमवार को भारत, विश्व स्वास्थ्य संगठन के लगभग 120 देशों वाले उस सम्मेलन में शामिल हुआ, जिसमें कोरोना वायरस के सोर्स की जांच पर जोर दिया गया। इस खतरनाक बीमारी से दुनियाभर में 3.17 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 48 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। इस महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन की वजह से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था लगभग बर्बादी के कगार पर पहुंच गई है। दो दिवसीय विश्व स्वास्थ्य असेंबली (डब्लूएचए) का 73वां सत्र जिनेवा में हो रहा है। यह सम्मेलन अमेरिका समेत कई देशों की मांग पर हो रहा है, जहां इम मामले की जांच करने की मांग की गई है कि यह वायरस वुहान शहर में कैसे पैदा हुआ, और चीन की सरकार और प्रशासन ने इसको लेकर क्या किया। इस सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि उनके देश ने डब्लूएचओ और अन्य देशों को वायरस के जेनेटिक सीक्वेंस सहित सभी डेटा सही समय पर उपलब्ध कराए थे।” डब्ल्यूएचए की बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपने देश का बचाव किया। कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के किसी भी प्रस्ताव का अब तक विरोध करने वाला चीन दबाव के आगे झुकते हुए यूरोपीय यूनियन द्वारा पेश प्रस्ताव का समर्थन किया है। डब्ल्यूएचए को संबोधित करते हुए चिनफिंग ने इन आरोपों को भी खारिज किया कि उनके देश ने इस बीमारी को गोपनीय रखा और उससे जुड़ी जानकारी दुनिया से छिपाई। उन्होने कहा कि चीन ने इस महामारी से संबंधित सभी जानकारी समय पर डब्ल्यूएचओ और अन्य देशों को दी थी। हमने बिना किसी भेदभाव के दुनिया के देशों के साथ इस महामारी को रोकने और उसके उपचार से संबंधित जानकारी भी साझा की। वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी प्रस्ताव के समर्थन की बात कही।
जेनेवा में शुरू हुई विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) की 73वीं बैठक में भारत की तरफ से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी शामिल हुए। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है हमने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। हमने अच्छा किया है।’ डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हमने कोविड-19 महामारी को बहुत गंभीरता से लिया है। राजनीतिक नेतृत्व के स्तर पर हमने महामारी से लड़ने में पूरी प्रतिबद्धता दिखाई है। उन्होंने कहा कि देश में आने वाले लोगों पर निगरानी रखने के साथ ही भारत ने सही समय पर सभी जरूरी कदम उठाए। सही समय पर विदेश में फंसे लोगों को निकाला गया, स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किया गया। 20 लाख से ज्यादा मानव संसाधन तैयार किए गए। महामारी के खतरे के प्रति लोगों को आगाह किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि हम अभी भी सीख रहे हैं और आने वाले महीनों में हम और बेहतर करेंगे।कोरोना वायरस के स्त्रोत का पता लगाने के लिए जांच की मांग की गई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार इसकी जांच की मांग करते रहे हैं कि चीन के वुहान शहर में यह वायरस कैसे पैदा हुआ और उसके बाद चीन ने उसे रोकने के लिए क्या कार्रवाई की। अमेरिकी राष्ट्रपति ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद भी रोक दी थी। डब्ल्यूएचए की बैठक में 27 देशों के संगठन यूरोपीय यूनियन की तरफ से मसौदा प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसका कई देशों ने समर्थन किया है। कोरोना महामारी को लेकर चीन के साथ-साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भी घिरता जा रहा है। भारत सहित 62 देशों ने कोरोना पर WHO की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की है। सभी देशों ने इस संबंध में एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसे शुरू हुई वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली में पेश किया जाएगा। ड्राफ्ट में कहा गया है कि कोरोना महामारी के विषय में विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रतिक्रिया एवं सक्रियता की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। ड्राफ्ट में महामारी के चलते दुनिया पर हुए प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा गया है, ‘हम COVID-19 महामारी के चलते हुईं मौतें, शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण, अर्थव्यवस्था और समाज पर हुए नकारात्मक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं. हम महामारी से प्रभावित सभी देशों के लिए एकजुटता प्रदर्शित करते हैं और पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना एवं सहानुभूति व्यक्त करते हैं’। सभी देशों द्वारा तैयार ड्राफ्ट में यह भी मांग की गई है कि WHO द्वारा कोरोना को लेकर किये गए कार्यों एवं उसकी टाइमलाइन की भी जांच होनी चाहिए। यह भी पता किया जाना चाहिए संयुक्त राष्ट्र के स्तर पर किये जा रहे कार्यों में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कितना योगदान है।गौरतलब है कि कोरोना महामारी को लेकर अमेरिका चीन के साथ ही WHO पर भी निशाना साधता आया है। सबसे पहले अमेरिका ने ही WHO की भूमिका पर सवाल उठाये थे, उसके बाद ब्रिटेन सहित कई देश इस अभियान में उसके साथ आ गए। अब भारत भी चाहता है कि कोरोना वायरस के महामारी बनने और उसकी रोकथाम में विश्व स्वास्थ्य संगठन की कार्यप्रणाली की जांच की जानी चाहिए।
सभी देशों द्वारा तैयार ड्राफ्ट में यह भी मांग की गई है कि WHO द्वारा कोरोना को लेकर किये गए कार्यों एवं उसकी टाइमलाइन की भी जांच होनी चाहिए। यह भी पता किया जाना चाहिए संयुक्त राष्ट्र के स्तर पर किये जा रहे कार्यों में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कितना योगदान है।
कौशलेन्द्र पाराशर,