सुबह से शाम तक फेसबुक पर सैकड़ों पोस्ट रोज़ आ रहे हैं। उनमें अधिकांशतः स्तरहीन बातें होती हैं। बगैर सिर- पांव के सियासी गपशप होती हैं। गाली- गलौज़ तक। लेकिन, जब काम का कोई मुद्दा सामने आएगा,तो लगेगा कि सभी तथाकथित बुद्धिजीवियों को सांप सूंघ गया हो। पिछले दिनों चीन ने अपने नक्शे में भारत के उन हिस्सों को शामिल दिखाया, जिसको लेकर विवाद है। पूछने पर उसने गलती से हुआ बताया। दुबारा फिर उसने नक्शा जारी कर वही हिस्सा दिखाया है। भारत के आपत्ति जताने पर टेढ़ी बघारी।
उसके बाद, नेपाल ने अपना नया नक्शा जारी कर लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और काला पानी से जुड़े भारतीय इलाकों को शामिल दिखाया है। मंत्रिपरिषद की बैठक में उसे भारत से लेने की बात कही है। इतना ही नहीं, कल नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने एक आपत्तिजनक टिप्पणी में भारत के वायरस को चीन से भी खतरनाक बताया। यह पूरा खेल किसके इशारे पर हो रहा है, समझने की ज़रूरत है। इतने संवेदनशील मुद्दे पर फेसबुकिया मनीषी चुप्पी साधे बैठे हैं। अरे, कुछ तो विचार उगलिये।।।