कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पीएम मोदी की सरकार पर निशाना साधा है। दरअसल, 22 मई, 2020 को कांग्रेस विपक्षी दलों की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक हुई और इस बैठक का मुख्य चर्चा कोरोना वायरस रहा। जी हां, इस महामारी के बीच प्रवासी श्रमिकों की स्थिति और मौजूदा संकट से निपटने के लिए सरकार की ओर से उठाए गए कदमों और आर्थिक पैकेज पर खास चर्चा हुई। सूक्षों से मिली जानकारी के अनुसार इस बैठक में कुछ प्रदेशों में श्रम कानूनों में किए गए हालिया बदलावों को लेकर भी चर्चा होने की आशंका जतायी जा रही है।
हालांकि, बैठक की शुरुआत विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा बंगाल और ओडिशा में चक्रवात अम्फान से पीड़ित लोगों के प्रति दुख जता कर हुई। सोनिया गांधी ने यहां कहा कि – “भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आने से पहले ही देश की अर्थव्यवस्था संकट में थी। नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी इसके प्रमुख कारण थे। आर्थिक गिरावट 2017-18 से शुरू हुई। सात तिमाही तक अर्थव्यवस्था का लगातार गिरना सामान्य नहीं था फिर भी सरकार गलत नीतियों के साथ आगे बढ़ती रही…”
यही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा कि – “जैसा कि हम जानते हैं कि 11 मार्च को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया… पूरे विपक्ष ने सरकार को पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया… यहां तक कि जब 24 मार्च को केवल चार घंटे के नोटिस में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया, तब भी हमने इस फैसले का समर्थन किया। कोरोना से जंग में प्रधानमंत्री का पहला अंदाजा कि 21 दिन में हम लड़ाई जीत लेगें, गलत साबित हुआ। ऐसा लगता है वायरस तब तक रहेगा जब तक इकसी कोई वैक्सीन नहीं विकसित हो जाती है…”
सोनिया गांधी यहीं नहीं रूकी, उन्होंने यह भी कहा कि – “सरकार को लॉकडाउन के मानदंडों को लेकर भी निश्चित नहीं थी और ना ही सरकार के पास इसे खत्म करने की कोई योजना है… कोरोना जांच और जांच किट के आयात के मोर्चे पर पर भी सरकार फेल रही है…”
सतीश मिश्रा, प्रधान संपादक