पटना – मानव जीवन अनमोल है और इस जीवन को सुंदर सुखमय बनाए रखना हम सबका कर्तव्य है। अगर हमारे पास दो विकल्प हों, पहला विकल्प “जीवन” और दूसरा विकल्प “मौत” तो हम दोनों में से किसे चुनेंगे ? नि:संदेह, हमारा जवाब होगा – “जीवन”। तो आइए जानते हैं कि सुखद जीवन जीने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें क्या क्या हैं –
हमारी जानकारी के अनुसार भोजन के बिना हम लगभग बारह दिनों तक जीवित रह सकते हैं, पानी के बिना लगभग सात दिनों तक रहा जा सकता है और तीन मिनट से ज्यादा सांस के बिना जीवन मुश्किल हो जाता है। इस प्रकार, जीवन जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण सांस लेने की प्रक्रिया है, क्योंकि “सांस है तो जीवन है”। ऑक्सीजन हमारे शरीर के लिए बेहद आवश्यक है। जीवन में सांस लेना अति आवश्यक प्रक्रिया है क्योंकि सांस लिए बिना हम जिंदा नहीं रह सकते। सांस लेने की बेहतर प्रक्रिया है लंबी सांस लेना, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है और दीर्घायु होने का द्योतक है।
इसके बाद जीवन में पानी का महत्वपूर्ण स्थान है। कहा भी गया है “जल ही जीवन है”। पानी पोषक तत्वों से भरपूर है जो हमें तुरंत एनर्जी देता है, हमें राहत देता है। हाइड्रोक्लोरिक एसिड बनने की प्रक्रिया जब शुरू हो जाती है तो एसीडिटी की प्रॉब्लम हो जाती है, ऐसी स्थिति में पानी का सेवन उसे डाइल्यूट कर देता है।
और फिर भोजन का स्थान श्वास एवं पानी के बाद महत्वपूर्ण रूप से सर्वोपरि है। हमारे शरीर के लिए भोजन ईंधन के समान है जो हमें पोषित करता है और जिससे हमें ऊर्जा मिलती है।
प्रत्येक व्यक्ति का शारीरिक, वैचारिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ होना बहुत जरूरी है। इसके लिए हमें अपने आचार विचार, आहार विहार, सोना जगना, खड़ा होना बैठना आदि तमाम बातों का ध्यान रखना पड़ता है। आइए जानते हैं जीवन की प्रत्येक क्रियाओं को कैसे वैज्ञानिक तरीके से किया जाए ताकि हमारा होना सार्थक हो और हम दूसरों के लिए उदाहरण बन सकें –
1.सांस लेने का सही तरीका :
आइए सबसे पहले जानें सांस कैसे लेना है। सांस लेने का सही तरीका जानकर हम अपने आप को निरोग रख सकते हैं और लंबे सुखद जीवन का वरदान भी पा सकते हैं।
ग़लत तरीके से सांस लेने के कारण हमारे सांस लेने की प्रक्रिया में तेजी आने लगती है जिससे हमारी कोशिकाओं को पूरी तरह ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। जिससे हमारा श्वसन तंत्र ज्यादा सक्रिय हो जाता है जो हमारी इम्यून पॉवर को कमजोर कर देता है और हम जल्दी अस्वस्थ हो जाते है।
हमें सांस धीरे धीरे लेना चाहिए। साथ ही हमारी सांस लम्बी होनी चाहिए। हम प्रति दिन करीब 20 हजार बार सांस लेते हैं। लेकिन हमारे द्वारा गलत ढंग से सांस लेने पर हमारे शरीर को कई परेशानियाें से गुजरना पड़ सकता है और इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इतना ही नहीं जीवन अवधि भी कम हो सकती है।
जब हम ब्रीदिंग सिस्टम को सही तरह से रेगुलेट करना सीख लेते हैं तो हमारे शरीर का हर हिस्सा सही ढंग से काम करने लगता है। इसके लिए प्राणायाम करना सर्वोत्तम है।
जल्दीबाजी में हम ज्यादातर छोटी छोटी और उथली उथली सांसे लेते रहते हैं जो कि सांस लेने का सही तरीका नहीं है।
हमें श्वास प्रश्वास के दौरान सांस नाक से नाभि तक लेना चाहिए और फिर नाभि से नाक के बाहर छोड़ना चाहिए। सही तरीके से सांस लेने से शारीरिक स्वास्थ्य तो ठीक रहता ही है, साथ ही मानसिक तनाव से भी छुटकारा मिलता है। सांस लेने की सही प्रक्रिया हमारे मन को शांत, स्थिर और एकाग्र रखने में सहायक होती है।
2. पानी पीने का सही तरीका :
प्यास एक प्राकृतिक आवश्यकता है।
सुबह शुरुआत 3-4 गिलास पानी पीने से करना चाहिए।
सुबह उठने के बाद लगभग 3 ग्लास पानी लेने से हमारी अंदरुनी ऊर्जा सक्रिय हो जाती है।
रोजाना 3-5 लीटर पानी पीना हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है, क्योंकि ऐसा करने से हमारा शरीर विषरहित रहता है, हमारी त्वचा को पोषण मिलता है।
जिस प्रकार खाना चबाकर खाना चाहिए उसी तरह पानी भी आराम से घूंट घूंट कर पीना चाहिए।
अगर हो सके तो गुनगुने पानी को प्राथमिकता देना चाहिए या नहीं तो कमरे के तापमान वाला पानी पीना सबसे अच्छा माना जाता है।
कोल्ड और चिल्ड पानी पीने से बचना चाहिए क्योंकि इससे रक्त परिसंचरण तंत्र प्रभावित होता है।
पानी हमेशा बैठ कर पीना चाहिए।
हमें खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से पानी सीधा भोजन नलिका में जाकर पेट के निचले हिस्से में चला जाता है, गुर्दे से भी बिना सुचारू रूप से छने गुज़र जाता है और शरीर में मौजूद अन्य तरल पदार्थों का संतुलन भी बिगड़ जाता है जिससे पाचन तंत्र की समस्या के साथ साथ दिल, गुर्दा, मूत्राशय और जोड़ों में दर्द की समस्याएं हो जाती हैं।
खाने से 30 मिनट पहले या खाने के 30 मिनट बाद पानी लेना चाहिए। ऐसा करने से हमारा हाजमा ठीक रहता है। जब हम खाने से पहले पानी पीते हैं तो अग्नाशय की अग्नि पर विपरीत असर पड़ता है और पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। ऐसे ही भोजन के तुरंत बाद पानी पीते हैं तो सीधे हमारी पाचन क्रिया प्रभावित होती है। साथ ही हम मोटापे से भी ग्रसित हो सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार भोजन के दौरान थोड़ा थोड़ा पानी का सेवन जरूरत के हिसाब से फायदेमंद होता है। ऐसा करने से पानी खाने को महीन और छोटे छोटे कणों में तोड़ देता है जो पाचन में मदद करता है।
दवा का सेवन हमेशा पानी के साथ करना चाहिए और दवा लेने के तुरंत बाद लेटना नहीं चाहिए।
सुबह में पानी का सेवन अधिक और रात को कम करना चाहिए।
3.भोजन करने का सही तरीका :
स्वस्थ जीवन जीने के लिए सुपाच्य और संतुलित भोजन करना बहुत ही अहम बात है।
ज़मीन पर बैठ कर खाना खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। यह प्राचीन भारतीय परंपरा रही है जिसकी जड़ें योग और आयुर्वेद से जुड़ी हुई हैं। यह पूरी तरह से वैज्ञानिक भी है।
ज़मीन पर आलती पालती की अवस्था में बैठकर भोजन करना हमारे पाचन तंत्र के लिए अच्छा होता है। ऐसी स्थिति में हमारे पेट में एसिड का स्राव बढ़ जाता है जो सही तरीके से पाचन में सहायक होता है।
पैर पर पैर रखकर बैठना हमारे संचार प्रणाली के लिए उपयोगी है क्योंकि खून अधिक आसानी से पंप होता है। उच्च रक्तचाप की समस्या भी कम हो जाती है। और हमारा मन शांत रहता है।
हमें खाना हमेशा चबाकर करना चाहिए। वैसे तो आयुर्वेद में 32 बार चबाने की सलाह दी जाती है,पर कम से कम 15-16 बार चबाना भी हितकर होता है। चबाते चबाते ठोस भोजन को तरल बना लेना चाहिए। ऐसा करने से हमें किसी भी प्रकार की पेट की समस्या नहीं होती है और कई बीमारियां भी आने से रह जाती हैं।
ग़लत खान पान से बीमारी होने की आंशका बनी रहती है। हमें अपने आहार में फल और सब्जी जरूर शामिल करना चाहिए। सुबह का नाश्ता भरपूर करना चाहिए।
नियमित समय पर लंच लेने की आदत हमें कई नुकसान से बचाती है। रात का खाना हल्का और सात्त्विक होना चाहिए। सोने से दो घंटे पहले खाना खा लेना चाहिए।
दोपहर के खाने के बाद 10-15 मिनट लेटना चाहिए और रात के खाने के बाद टहलना चाहिए।
भोजन करने के बाद पांच मिनट तक वज्रासन मेंं बैठना चाहिए। इससे अच्छी नींद आती है साथ ही पाचन अच्छे तरीके से होता है।
4.सुबह जगने का सही तरीका और जगने के नियम :-
सुबह चार बजे उठना, जगने का आदर्श समय है। सुबह जल्दी जगने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
हमारी भारतीय संस्कृति के अनुसार नींद खुलने के बाद बायीं करवट लेते हुए जगना चाहिए और बैठ जाना चाहिए।
फिर इसके बाद दोनों हथेलियों के दर्शन करना चाहिए क्योंकि हाथ पुरूषार्थ का सबसे बड़ा साधन है। ऐसा करते समय
“कराग्रे बसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती
करमूले तू गोविंदम् प्रभाते कर दर्शनम्।।”
श्लोक पढ़ना चाहिए।
इसके बाद अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ना चाहिए। रगड़ने के बाद चेहरे व आंखों को स्पर्श करना चाहिए। ऐसा करने के पीछे वैज्ञानिक कारण यह है कि हमारे हाथों में असंख्य नाड़ियों का जाल है, इसलिए जब हम अपनी हथेलियों को आपस में रगड़ते हैं तो सभी नाड़ियां सक्रिय हो जाती हैं और शरीर सक्रिय होकर सजग हो जाता है।
5.व्यायाम करने का सही तरीका :
हमारे जीवन में व्यायाम का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह हमें स्वस्थ रखने में मददगार होता है। इसलिए हमें अपनी दिनचर्या में हर दिन कम से कम 30-40 मिनट एक्सरसाइज को जरूर स्थान देना चाहिए। प्राणायाम तो हमारे जीवन के लिए संजीवनी बूटी की तरह होता है।
सही तरीके से व्यायाम करने से कई तरह की बीमारियों के आने की संभावना कम हो जाती हैं। पर व्यायाम अगर ग़लत तरीके से किया जा रहा हो तो उसका हमारे शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
रोज सुबह की सैर करना भी बहुत सरल और एक उपयोगी व्यायाम है। गर्मियों में करीब 4-5 बजे और सर्दियों में लगभग 6 बजे का समय भ्रमण के लिए उपयुक्त है। किसी पार्क में हरियाली के साथ टहलना इसके महत्व को और बढ़ा देता है। प्रत्येक दिन चलने से शरीर में सारे दिन चुस्ती बनी रहती है।
सुबह की सैर के अलावा शाम की सैर से भी हम अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। आजकल प्रदूषण की बढ़ती समस्या को देखते हुए यह सलाह भी दी जा रही है कि दिल्ली जैसे कई स्थानों में शाम की सैर करना ठीक रहेगा। विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में जब ऐसी जगहों पर प्रदूषण का स्तर सुबह के समय बहुत ही अधिक पाया जाता है।
6.बैठने का सही तरीका :
ज्यादा देर तक लगातार बैठने की स्थिति में बिना सपोर्ट वाली जगह की बैठक से हमें बचना चाहिए।
ऑफिस में ऑफिस चेयर पर ही बैठना ठीक होता है। जब हम कुर्सी पर बैठे हों तो अपनी कमर को कुर्सी का सहारा देते हुए सीधा बैठना चाहिए, आगे की ओर झुककर कभी नहीं।
कुर्सी पर बैठते समय अपने कंधों को हमेशा सीधा और दोनों पंजों को जमीन पर रखना चाहिए। अपनी जरूरत के मुताबिक कुर्सी एडजस्ट करके रखना चाहिए।
हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बैठते वक़्त हमारी गर्दन, कंधा और एड़ी एक लाइन में हो और पीठ सीधी हो।
7.खड़े रहने का सही तरीका :
जब हम खड़े हों तो हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि खड़े होते समय शरीर का भार एड़ी पर न पड़े। बल्कि हमें अपना भार पंजों पर रखना चाहिए।
खड़े होने पर दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी रखना चाहिए। साथ ही हमारे दोनों पंजे कंधों के ठीक समानांतर होने चाहिए।
ज्यादा देर खड़े होने की स्थिति में हमें ध्यान रखना चाहिए कि दोनों कंधे सीधे हों। अगर दीवार या किसी अन्य वस्तु का सहारा लेकर खड़े हैं तो कंधों और पीठ को ही दीवार का सहारा देना चाहिए।
8.चलने का सही तरीका :
चलते वक्त कंधे सीधा रखकर ही चलना चाहिए।
यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सिर सीधा रहे और नजर सामने की ओर हो।
सही तरीके से चलना कई समस्याओं से दूर रखने में सहायक होता है। इतना ही नहीं ऐसा करना हमारे व्यक्तित्व को और भी निखार देता है।
9. नींद लेने का सही तरीका :
वैज्ञानिकों का मानना है कि नींद सबसे बड़ी दवा है। कम नींद होना या अधिक नींद होना दोनों ही हमारे स्वास्थ्य के प्रतिकूल हैं, जिसका सीधा प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है।
अच्छी नींद पाने के लिए उचित प्रकार के गद्दे तकिए का उपयोग करना चाहिए। तकिया बहुत सख्त या ऊंचा न हो इसका ध्यान रखना चाहिए।
हमें नरम गद्दे, तकिए का चुनाव करना चाहिए नहीं तो कूल्हों और कंधों पर दबाव पड़ सकता है और जगने पर दर्द जैसी समस्या का सामना हो सकता है।
बिस्तर आरामदायक होना चाहिए। चादर और तकिए का रंग हमारी आंखों को सूकून देने वाला होना चाहिए।
सोते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पैर किस दिशा में रखना है। दक्षिण दिशा में पैर बिल्कुल नहीं रखना चाहिए। अगर संभव हो तो पूरब दिशा में भी पैर रखकर नहीं सोना चाहिए।
हमें चित्त और औंधा नहीं सोना चाहिए। क्योंकि हमारा शरीर विज्ञान कहता है कि चित्त सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचता है जबकि औंधा सोने से आंखों को नुकसान होता है।
सोने से पहले सकारात्मक बातें सोच कर सोना चाहिए।
हमें पांव धोकर सोना चाहिए।
होलिइस्टिक साइंस और आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर के बाएं और दाएं पक्ष भिन्न भिन्न होते हैं और ये अलग तरीके से अपना काम करते हैं। इसलिए यह बात सर्वमान्य है कि बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है, ऐसा आधुनिक विज्ञान के साथ साथ शास्त्रीय विधान भी है। क्योंकि हमारा पेट और अग्न्याशय हमारे शरीर के बायीं ओर स्थित है। इस वजह से ये पाचन क्रिया बेहतर तरीके से कर पाते हैं। ऐसा करने से हमारे शरीर की ऊर्जा बढ़ती है। अपच और एसिडिटी जैसी समस्या से भी छुटकारा मिल पाता है।
इस प्रकार अब तक हम ये जान चुके हैं कि हमारी आदतें ही हमें बनाती भी हैं हमें बिगाड़ती भी हैं। इसलिए कहा गया है कि “मानव जीवन इस प्रकृति का अनुपम उपहार है।” एक ही तो जीवन मिला है तो क्यों न इसे सार्थक करें.
रामशंकर प्रसाद,