पहले आप गौर से तस्वीर देख लें, फिर मैं बात शुरू करता हूँ:-
यह जो नीचे वाली तस्वीर देख रहे हैं, वह सूडान की है। विश्व की सर्वाधिक चर्चित तस्वीरों में से एक है। इसे दक्षिण अफ्रिका के फोटो पत्रकार केविन कार्टर ने 1993 में तब खींची थी, जब वहां भीषण अकाल पड़ा था। फोटो में दिख रही # भूखी- प्यासी- कुपोषित # बच्ची रेंगकर अपने माँ- बाप के कैम्प में जाना चाहती है। उसके पीछे एक गिद्ध उसके मरने का इंतज़ार कर रहा है। इस फोटो केलिये # कार्टर को # पुलित्ज़र अवार्ड से नवाजा गया था। लेकिन, आपको हैरत होगी कि फोटो प्रकाशित होने के दो माह बाद उस # फोटो जर्नलिस्ट ने # खुदकुशी कर ली थी। कारण मात्र इतना था कि एक पाठक ने फोटो देखकर यह पूछ दिया कि ‘ उस बच्ची’ का क्या हुआ?? कार्टर का # जवाब था कि वह नहीं जानता। इसपर उस पाठक ने प्रत्युत्तर में कहा कि वहां एक# गिद्ध नहीं, दो थे।।
27 साल पुरानी तस्वीर मैंने इसलिए दिखाई कि ढाई दशक से ज़्यादा ज़रूर गुज़र गए, लेकिन वह सब्जेक्ट #भारत में अभी #जिंदा है। कोरोना महामारी ऐसा प्रचंड रूप अख्तियार किये हुए है, जिसमें सबकी सहभागिता अत्यंत आवश्यक है। ऐसे में जनता से चुनकर जाने वाले # नेता कितने # संवेदन शून्य हो गए हैं।# महाराष्ट्र की स्थिति देश में सर्वाधिक बुरी है। 54 हज़ार से अधिक लोग संक्रमित हो गए हैं और प्रतिदिन ढाई हजार के आसपास लोग संक्रमित हो रहे हैं।# 1792 लोगों की अबतक मौत हो चुकी है। मिलजुल कर लोगों की जान बचाने की बजाय लोग तमाशा देख रहे हैं। #पूर्व सीएम के बयान से लग रहा है कि कोरोना संकट एक तरफ है, वे #सरकार के गिरने की #प्रतीक्षा में उस पक्षी की तरह बैठे हैं, जो चित्र में दिख रहा है। सरकार रूपी पुलित्ज़र सम्मान मिल भी जाये, तो क्या होगा?? आपको भी केविन कार्टर की तरह तंज़ का सामना करना पड़ेगा।। यह बात दीगर है कि सुनने वाले पर उसका कोई असर शायद नहीं हो ।। अभी तो पूरे देश को खेमों में बांट दिया गया है, इसलिए अभी के सवाल शायद झेल जाएं। लेकिन, भविष्य के सवाल आपको छलनी कर देंगे।। इसलिए, सब एक तरफ, लोगों की जान बचाने में जुटे।