विशेषज्ञों के मुताबिक भारतीय स्टार्टअप्स के बड़े पैमाने पर विदेशी निवेशकों की ओर से फंडेड होने का एक बड़ा कारण है कि बाज़ार बनाने में शुरुआत में बड़ा जोखिम होता है.
लद्दाख में LAC के पास तनाव को लेकर चीनी उत्पादों के खिलाफ बयानबाज़ी बढ़ रही है, लेकिन जमीनी हकीकत के मुताबिक एशिया के दो आर्थिक दिग्गजों के बीच कारोबारी रिश्ते किसी भी बायकॉट की परत की तुलना में बहुत बड़े और बहुत जटिल हैं.
भारत में चीन के भारी निवेश को देखते हुए पहली बात ये जानना कि क्या चीनी है और क्या नहीं? और फिर उसके प्रतिस्पर्धी विकल्प की पहचान करना ही बहुत मुश्किल काम लगता है.
चीन की तकनीकी मौजूदगी
अकेले तकनीकी स्पेस में, चीन से जुड़े निवेशों में हाल के दिनों में वृद्धि देखी गई है. इंडियन काउंसिल ऑन ग्लोबल रिलेशंस से जुड़े थिंक टैंक ‘गेटवे हाउस’ की ओर से प्रकाशित एक रिपोर्ट में भारतीय स्टार्टअप्स में 4 अरब डॉलर के चीनी तकनीकी निवेश का अनुमान लगाया गया है.
भारत के टॉप 30 यूनिकॉर्न्स (1 अरब डॉलर से ज्यादा मूल्य के स्टार्टअप्स) में से 18 चीनी फंड से पोषित हैं और तकनीक संचालित हैं. फरवरी में प्रकाशित इस रिपोर्ट में चीन के फंड से पोषित 92 प्रमुख स्टार्टअप की सूची दी गई है.
अहम चीनी निवेश
रणनीतिक निवेश के जरिए भारतीय कारोबारों में शामिल प्रमुख चीनी फर्मों में अलीबाबा, टेनसेंट और बाइटडांस हैं. अकेले अलीबाबा ग्रुप ने ही बिग बास्केट (25 करोड़ डॉलर),पेटीएम डॉट कॉम (40 करोड़ डॉलर), पेटीएम मॉल (15 करोड़ डॉलर), जोमेटो (20 करोड़ डॉलर) और स्नैपडील(70 करोड़ डॉलर) में रणनीतिक निवेश किया है.
कौशलेन्द्र पाण्डेय