बिहार एवं बिहार से जुडे हुये लगभग चालीस नागर समाज संस्थाओं के साथ मिलकर रिसर्च विभाग, बिहार प्रदेश कांगरेस कमिटी ने आज ‘बिहार के क्रमागत उन्नति:कोविड 19 के दौर में चुनौतियाँ एवं रणनीति’ विषय पर एक ज़ूम मीटिंग का आयोजन किया। प्रदेश अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा ने अपने स्वागत भाषण में बोलते हुये कहा कि, नागर समाज जनतंत्र का एक मज़बूत स्तंभ है, जो नीति निर्माण को बहुत दूर तक प्रभावित करता है। वर्तमान समय एक संकट की घड़ी है और इस संकट की घड़ी में सिविल सोसाइटी नें जो आम जनों के प्रति सेवा भाव दिखाया है, वह सराहणीय है। जब-जब विपदा आई है राहत कार्य में नागर समाज सबसे आगे रहे। उन्होंने कहा कि इस कोरोना संकट में हमारा बिहार और पीछे चला गया है। पुन: इसे पटरी पर लानें के लिये हमें बहुत कुछ करना पड़ेगा। दीर्घ कालिक एवं अल्प कालिक दोनों तरह की रणनीति बनानी होगी जिससे प्रगति पथ पर बिहार आगे बढ़ता चले।
आज के इस चर्चा में हमने आपको आमंत्रित किया है जिससे कि हमें आपके विचारों के माध्यम से एक ठोस सुझाव मिले और हम आनें वाले समय में उसपर बिहार के क्रमागत उन्नति की एक नई गाथा साथ साथ लिखें। आपके सुझाव को हम अपनें कार्य नीति या इसे आप घोषणा पत्र भी कह सकते हैं में शामिल करेंगे और मिलकर एक नया तथा विकसित बिहार रचेंगें।
रिसर्च विभाग ए आई सी सी के सचिव राणाजीत मुखर्जी ने कहा कि, कांग्रेस मंच से प्रचार नहीं करती है, कांग्रेस सबसे पहले लोगों की बात सुनती है| आज हम इसी कार्य के लिये इकट्ठा हुये हैं। बिहार के नागरिक समाज कार्यकर्ताओं जुड़कर राज्य के लिए उनकी दृष्टि पर चर्चा करना अपनें आप में उन्नती की ओर एक क़दम बढ़ाना है | बिहार में इस तरह जनता ही कांग्रेस पार्टी का घोषणा पत्र बनाएगी, जो जनता की आवश्यकताओं का प्रतिबिंब होगा।
रिसर्च विभाग एवं मैनिफ़ेस्टो कमिटी, बिहार कांग्रेस के चेयरमैन आनन्द माधव ने कहा कि हम बहुत कठिन दौर से गुज़र रहे हैं, बदलते परिवेश में हमारी चुनौतियाँ बहुत बड़ी हैं। नागर समाज एक दबाव समूह के रूप में ही काम नहीं करता, वरण नीति निर्माण में भी उसकी भूमिका अहम है। उनके विचारों से ना सिर्फ़ हमारी रणनीति मज़बूत होगी वरण यह जनोन्मुख भी होगा। नागर समाज और राजनीतिक दल मिलकर हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।बिहार के नवनिर्माण में यह आवश्यक है कि प्रारंभ से ही नागर समाज को नीति निर्माण प्रक्रिया में साथ लेकर चला जाय।
इस बहस में भागलेनें वालों में प्रमुख थे- सचिन राव, प्रभारी, कांग्रेस संदेश एवं प्रशिक्षण, ए आई सी सी, आनन्द शेखर, टीम लीडर, स्वच्छ भारत मिशन, पंकज आनन्द, निदेशक, ऑक्सफेम इंडिया, पद्मश्री सुधा वर्गीज़, राफे इजाज़ हुसैन, महाप्रबंधक, सेव द चिल्ड्रन, नीरज कुमार, वित्तीय सलाहकार, फ़ूड एण्ड ऐग्रिकल्चर ओर्गनायज़ेशन, यू एन, रंजना दास, क्षेत्रीय प्रबंधक, ऑक्सफेम, मधुबाला, आपदा विशषज्ञ, प्रकाश कुमार, डेवलपमेंट कन्सल्टेंट, रूपेश कुमार, समन्वयक, भोजन का अधिकार, दीपक मिश्र, कार्यकारी निदेशक, सीडस, जैनेंदर कुमार एवं भास्कर ओझा, प्रोजेक्ट मैनेजर, केयर, समिता परमार, निदेशक, स्वाभिमान, स्वप्न मुखर्जी, कार्यपालक निदेशक, बिहार भोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन, मुखतारुल हक़, निदेशक, बचपन बचाओ आंदोलन, रजनी जी, निदेशक, सहयोगी, तारकेश्वर सिंह,सचिव, सारथी, प्रियदर्शनी त्रिवेदी, समाजिक सलाहकार, अभिजीत मुखर्जी स्टेट हेड, प्लान इंडिया, जितेन्द्र कुमार, अधिकारी, आगा खान फ़ाउन्डेशन,श्रेया श्रावनी, एशोसियेट, अंतरंग, कनिज फातमा, संदीप ओझा, मैनेजर, सी 3 , सुरेश कुमार, निदेशक, सेंटर डाइरेक्ट, डा. सुधांशु कुमार, एसोसिएट प्रो., सेंटर फ़ॉर इकोनॉमिक पॉलिसी, दीनबंधु वत्स,निदेशक, पैरवी आदि।
बिहार रिसर्च विभाग के सचिव सौरव कुमार सिन्हा, कार्यक्रम का समन्वय कर रहे थे और रिसर्च विभाग की राष्ट्रीय समन्वयक लेनी जाधव ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
इस बहस में जो मुख्य मुद्दे सामने आये वे निम्नांकित है:-
१. मनेरगा को और मज़बूती प्रदान करना
२. ज़रूरतमंदों को वित्तीय सहायता प्रदान करना
३. बढ़ती बेरोज़गारी पर रोक लगाने के लिये एक ठोस रोज़गारों नीति का निर्माण
४. बिहार की जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिये क़दम उठाना। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर उप्र तक सुधार की ज़रूरत है।भोजन के अधिकार की तरह ही स्वास्थ्य का अधिकार भी होना चाहिये।सरकारी स्वास्थ्य संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण करना होगा।
५. महिलाओं पर बढ़ती हिंसा पर रोक के सार्थक उपाय ढूँढना
६. गर्भवती महिलायें के लिये विशेष व्यवस्था करना
७. कुपोषण से लड़ाई के उपाय खोजना और अमल में लाना
८. ठोस मॉनिटरिंग सिस्टम को विकसित करना
९. शिक्षा ख़ासकर बाल शिक्षा के स्तर मे सुधार के लिये ज़रूरी क़दम उठाना
१०. मुसहर एवं अन्य हासिये पर पड़े एक बड़ी आबादी का विशेष ख़याल रखते हमसे उसे मुख्यधारा में शामिल करना
११. जीवन यापन एवं रोज़ी रोटी के लिये समुचित उपाय खोजना
१२. साये सहायता समूह को बढ़ावा देना
१३. जन वितरण प्रणाली को सुदृढ़ करना
१४. प्रवासी मज़दूरों की समस्याओं का स्थाई हल ढूँढना होगा।
१५. योजनाओं को सही ढंग से लागू करना एक बड़ी चुनौती है। उसके लिये ठोस मॉनीटरिंग सिस्टम लागू करना होगाआदि आदिं।बिहार रिसर्च विभाग इन सभी बिदूंओ को ध्यान में रखते हुए अपने घोषणा पत्र का निर्माण करेगी.
शैलेश तिवारी की रिपोर्ट.