छोटे सरकारी बैंकों का बड़े बैंकों में विलय के बाद सरकार ने एक और फैसला किया है। खबर है कि अब विलय से बचे हुए छोटे बैंकों का प्राइवेटाइजेशन किया जाएगा। अगर यह फैसला पूरा होता है तो संभावित रूप से उस राष्ट्रीयकरण की शुरुआत होगी, जो 1969 में बैंकों में की गई थी। पहले चरण के संभावित बैंकों में पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) का समावेश हो सकता है। तो वही निजीकरण की जननी मोदी सरकार पर सरकारी बैंको को बेचने का आरोप लगाते हुए ऑल इंडिया पंजाब एंड सिन्ध बैंक के अध्यक्ष चिरंजीव जोशी ने कहा की सरकार के द्वारा बैंक को प्राइवेट किए जाने का संगठन पुरजोर विरोध कर्ता है। दुसरी तरफ नेशनल चेयरमैन हुमन राइट्स प्रोटक्शन काउंसिल कुंवर ओंकार सिंह नरूला ने सरकार के इस निति का कड़े शब्दो मे विरोध जताया है। कुंवर ओंकार सिंह नरूला ने कहा संगठन निजीकरण के विरोध मे बैंक मुलजिमो के साथ खडा है। उन्होने बताया इस बैंक का स्वर्ण इतिहास है। जिसकी स्थापना सिख कौम के सम्मानीय शख्सियत भाई वीर सिंह, सुंदर सिंह मजीठिया और त्रिलोचन सिंह ने 1908 में लाहौर में की थी। कुंवर ओंकार सिंह नरूला ने बताया पंजाब एंड सिंध बैंक बचाओ मुहिम को उस टाइम काफी बड़ी कामयाबी मिली जब जाने-माने सिख हस्ती सरदार हरभजन सिंह डंग सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ऑल इंडिया अकाली दल ने हुमन राइट्स प्रोटक्शन काउंसिल के मुख्यालय में पहुंचकर मुहिम में साथ चलने के लिए भरोसा दिलाया। और साथ ही सिख लीडरशिप में सबको साथ लेकर चलने का प्रण लिया। इस मौके पर विशेष रूप से ऑल इंडिया बैंकर ऑफिसर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री चिरंजीव जोशी पंजाब एंड सिंध बैंक विशेष रूप से पहुंचे और उन्होंने सरदार हरभजन सिंह डंग का धन्यवाद किया इस मौके पर सिख समाज और विभिन्न पार्टियों के प्रतिनिधि भी पहुंचे उन्होंने पंजाब एंड सिंध बैंक को बचाने के लिए हर मदद देने का भरोसा दिलाया।
निखिल की रिपोर्ट.