गृह मंत्री अमित शाह जी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी बताए:- विगत महीनों में देश के 12 करोड़ लोगों की नौकरी छिन गई। 13 करोड़ लोग BPL में आ गए। एक करोड़ 40 लाख भुखमरी के कगार पर चले गये। आशा है गृहमंत्री वर्चूअल रैली में यह ज़रूर बताएँगे कि बादशाही आफ़त से छिने गए रोज़गार को कैसे इन करोड़ों लोगों को वापस दिलाएँगे? बिहार के 8-9 करोड़ बेरोज़गारो, श्रमिकों, दिहाड़ी मज़दूरों और युवाओं के लिए उनकी 15 साल की एनडीए सरकार ने क्या किया? उन बेरोज़गारो को नौकरी-रोज़गार देने की क्या कार्य योजना है?क्या वो रोज़गार-नौकरी, विकास और उद्योग-धंधो के दम पर जनता से वोट माँगेंगे?वो बताए कि केंद्र-राज्य सरकार ने श्रमिकों के साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार क्यों किया? उन्हें शारीरिक-मानसिक और आर्थिक प्रताड़ना क्यों दी? केंद्र और राज्य की एनडीए सरकार तुरंत प्रत्येक श्रमिक को 10 हज़ार सहायता भत्ता प्रदान करें। इस मानवीय संकट के मध्य श्रमिकों की मदद ज़्यादा ज़रूरी है या वर्चूअल रैली करना ज़्यादा ज़रूरी? इस वर्चुअल रैली में अमित शाह व CM नीतीश को एक दूसरे का सामना करना चाहिए और बिहार की जनता के सामने यह बताना चाहिए कि बिहार में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और कानून व्यवस्था की बदहाल स्थिति के लिए दोनों में से कौन सा दल अधिक जिम्मेदार है? श्रमवीरों की यह वर्तमान दुर्दशा किसने की?भाजपा सरकार ने 2014 के चुनाव में बिहार से किए एक भी वादे को पूरा नहीं किया! स्पेशल पैकेज और स्पेशल स्टेटस का क्या हुआ? प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1.25 लाख करोड़ पैकेज की अद्यतन स्तिथि क्या है? क्या ये मुद्दे भाजपा-जदयू के सिर्फ़ चुनावी झुनझुना है? जब “डबल इंजन” हैं ही तब इसमें अड़चन क्यों हैं?विगत 15 साल से बिहार और 6 साल से केंद्र में रहते डबल इंजन सरकार ने बिहार के लिए क्या किया है? 15 वर्ष की एनडीए सरकार ने बिहार में रोज़गार सृजन के लिए क्या कदम उठाये हैं और कुल कितने कल-कारख़ाने लगायें?
विकास कुमार सिंह, सब एडिटर