पटना, ८ जून। मगध विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति तथा प्रख्यात शिक्षाविद और साहित्यकार मेजर बलबीर सिंह ‘भसीन‘ नही रहे। गत रविवार की रात तीसरे पहर उन्होंने, दिल्ली स्थित अपने कनिष्ठ अधिवक्ता पुत्र जीतेंदर सिंह ‘भसीन‘ के निवास ढुढियाल अपार्टमेंट, मधुबन चौक, पीतमपुरा, दिल्ली में अपनी अंतिम साँस ली। ८४ वर्ष की आयु में भी वे पूरी तरह स्वस्थ थे और अपना सारा कार्य स्वयं कर रहे थे। मेजर भसीन पटनासिटी स्थित गुरुगोविंद सिंह महाविद्यालय में अनेक वर्षों तक प्राचार्य तथा मगध विश्वविद्यालय में प्रतिकुलपति और फिर प्रभारी कुलपति रहे। वे मनोविज्ञान के प्राध्यापक तथा लब्ध–प्रतिष्ठ कवि–साहित्यकार थे।
उनके निधन से प्रबुद्ध समाज में शोक की लहर है। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने अपने शोकोदगार में कहा है कि मेजर भसीन के निधन से, साहित्य संसार ने एक अत्यंत निष्ठावान, चरित्रवान और सिद्धांतवादी कवि को खो दिया है। वे एक महान शिक्षाविद और भाव–प्रवण साहित्यकार थे। उनकी पुस्तकें ‘पत्थर की चाहत‘, ‘एक हिंदुस्तानी की खोज‘ तथा ‘एक सफ़र हिन्दोस्तान से हिन्दोस्तान तक‘ काफ़ी चर्चा में रही। उनकी काव्य–दृष्टि मानवतावादी थी, जिसका आश्रय अध्यात्म था। वे हृदय से आध्यात्मिक काव्य–पुरुष थे। वे उर्दू और पंजाबी में भी लिखा करते थे। ‘सिख मत‘ नाम से उनकी एक पुस्तक उर्दू में प्रकाशित हुई थी, जो ‘सिख–दर्शन‘ पर एक महत्त्वपूर्ण कृति मानी जाती है। पंजाबी में लिखी गई उनकी पुस्तक ‘मेरी कलम दी आतम हतया‘ पर्याप्त चर्चा में रही। हाल ही में उनकी दो पुस्तकों, ‘एक सौ लघु कथाएँ‘ तथा ‘जपजी साहिब और सुखमनी साहिब‘ के हिन्दी पद्यानुवाद का लोकार्पण बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में किया गया था। साहित्य–सम्मेलन से उनका गहरा लगाव था और वे सम्मेलन के संरक्षक सदस्य भी थे। उनके निधन से शिक्षा जगत और साहित्य–संसार की बड़ी क्षति पहुँची है।
शोक व्यक्त करनेवालों में, पटना विश्व विद्यालय के पूर्व कुलपति डा एस एन पी सिन्हा, सम्मेलन के उपाध्यक्ष नृपेंद्रनाथ गुप्त, प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, डा शंकर प्रसाद, डा मेहता नगेंद्र सिंह, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, डा शालिनी पाण्डेय, पूनम आनंद, आरपी घायल, कृष्ण रंजन सिंह,टी आर गांधी, सुनील कुमार दूबे, मृत्युंजय मिश्र ‘करुणेश‘, आनंद मोहन झा के नाम सम्मिलित हैं।
उनका अंतिम अंतिम संस्कार सोमवार के तीसरे पहर रोहिणी,नई दिल्ली स्थित नाहरपुर, शमशान घाट में संपन्न हुआ। मुखाग्नि उनके ज्येष्ठ पुत्र हर्मिंदर सिंह ‘भसीन‘ ने दी। वे अपने पीछे दो पुत्रों और पुत्र–वधुओं के अतिरिक्त एक पुत्री देविंदर साहनी तथा पौत्र आदि को शोक–संतप्त छोड़ गए हैं।
कौशलेन्द्र पाण्डेय