नई दिल्ली,
इन दिनों कोरोना महामारी को लेकर दिल्ली की हालक बेहद खराब हो रखी है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की बैठक का आयोजन 9 जून , 2020 को किया गया जहां दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल मौजूद थे। इस खास बैठक में सामुदायिक प्रसार को लेकर अहम फैसला लिया जाना था। वहीं, बैठक खत्म होने के बाद ही मनीष सिसोदिया ने इस बात का खुलासा किया कि केंद्र ने कहा है कि दिल्ली में अभी सामुदायिक प्रसार नहीं हुआ है। केंद्र सरकार यह नहीं मानती कि अभी दिल्ली में सामुदायिक प्रसार की स्थिति है।
दूसरी ओर, सिसोदिया ने अपने आंकलन के आधार पर कहा कि केंद्र भले ना माने लेकिन यहां संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है और आने वाले समय में बड़ी मात्रा में अस्पतालों में बेड और वेंटिलेटर व ऑक्सीजन आदि की जरूरत पड़ेगी।
यही नहीं, मनीष सिसोदिया ने आगे बताया कि बैठक में केंद्र सरकार के अधिकारी भी मौजूद थे और उन्होंने कहा कि दिल्ली में अब तक कोई सामुदायिक प्रसार नहीं है। सिसोदिया ने साफ कहा है कि 30 जून तक दिल्ली में एक लाख केस हो जाएंगे।
औऱ तो और सिसोदिया ने ये भी कहा कि डीडीएमए की बैठक में कल के उपराज्यपाल के अस्पतालों पर लिए गए फैसले पर चर्चा हुई, लेकिन एलजी ने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया है। जब उनसे बाहर से मरीजों के आने वाले आंकड़े को लेकर हमने कहा कि उसकी संख्या हमारे पास नहीं है तो वह बोले देखते हैं।
सिसोदिया यहीं नहीं रूके… आगे उन्होंने यह बताया कि 15 जून तक दिल्ली में 44000 केस होंगे और 6600 बेड की आवश्यकता होगी। 30 जून तक दिल्ली में एक लाख केस बढ़ जाएंगे और 15000 बेड की जरूरत होगी। 15 जुलाई तक राजधानी में 2.25 लाख केस होंगे और 33 हजार बेड चाहिए होंगे और जुलाई के अंत तक दिल्ली में 5.5 लाख केस होंगे और 80 हजार बेड की जरूरत होगी।
इस कोरोना ने सारे राज्य को हिला कर रख दिया है… देखना यह है कि सिसोदिया द्वारा बताए गए यह आंकलन कितने सही होते हैं और सरकार इस भयानक घड़ी का सामना करने के लिए खुद को कैसे तैयार करती है???
प्रिया सिन्हा