नई दिल्ली: जून के महीने में भारत की आबोहवा इस कदर गर्म और तपिश से भरी होती है सब कुछ खौलने सा लगता है, लेकिन 1975 में देश की सियासत की तपिश इतनी ज्यादा थी कि उसने मौसम की गर्मी को भी पीछे छोड़ दिया.
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 जून के दिन देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) को चुनाव में सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल का दोषी ठहराते हुए उनके निर्वाचन को अमान्य करार दिया गया था.
आइए अब जानते हैं कि आखिर क्यों राजनारायण ने लोकसभा चुनाव में हार के बाद कोर्ट में केस दर्ज किया था? 1971 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लड़ने के लिए संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी राजनारायण खड़े थे. तब इंदिरा गांधी ने राजनारायण को लंबे अंतर से शिकस्त दी थी. लेकिन राजनारायण को यह हार स्वाभाविक नहीं लगी क्योंकि उन्हें अपनी जीत का कुछ ज्यादा ही आत्मविश्वास था.
राजनारायण ने इंदिरा गांधी की जीत के खिलाफ कोर्ट में गुहार लगाई. उन्होंने इंदिरा गांधी पर आरोप लगाया कि इंदिरा ने चुनाव जीतने के लिए संसाधनों और सरकारी मशीनरी दुरुपयोग किया, इसीलिए उनका चुनाव रद्द कर दिया जाए.
ये भी पढ़ें- DNA Analysis:…तो क्या ‘कोरोना कैपिटल’ बन जाएगी दिल्ली?
फिर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनाव में अनुमति से ज्यादा रुपये करने और सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का दोषी पाया और उनके किसी भी राजनीतिक पद ग्रहण करने पर रोक लगा दी. हालांकि यह फैसला अमल में नहीं आया और इसके बाद का घटनाक्रम आपातकाल के काले दौर का गवाह बना और देश में आपातकाल लगा दिया गया