कोरोना मरीज की कहानी, जानिए अस्पताल में कैसा बीता एक हफ्ता?जब रिपोर्ट पर कोविड-19 ‘पॉजिटिव’ लिखा देखा, तो थोड़ा डर और काफी कंफ्यूजन महसूस हुआ. बुखार था नहीं, मगर कोरोना वायरस शरीर में घुस चुका था. एक साथी की तबीयत खराब होने के बाद, दफ्तर ने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करवाई, जिसमें मैं भी शामिल थी.
कोरोना पॉजिटिव होने की खबर मिलते ही मैंने खुद को परिवार से अलग दूसरे कमरे में शिफ्ट कर लिया था. खाने-पीने का सामान अलग और घर में सफाई भी करवा ली. मगर कुछ ही घंटों में, गौतमबुद्ध नगर प्रशासन से एक फोन कॉल आया. मुझे बताया गया कि आपको हॉस्पिटल में भर्ती होना होगा. मैंने उनसे कहा, ‘मगर क्यों, मैंने घर में अपने आप को आइसोलेट कर लिया है. आप किसी क्रिटिकल मरीज को वहां भर्ती करें तो बेहतर होगा.’
अधिकारी ने जवाब दिया, ‘प्रदेश के निर्देशानुसार हर पॉजिटिव केस को इलाके से अलग आइसोलेट में रखना है, आप कृपया तैयार हो जाएं और साथ में कुछ सामान रख लें. आपको ठीक अस्पताल मिलेगा. आप बेफिक्र रहिए.’
सरकारी अस्पताल की हालत सबको मालूम ही है. खासकर एक न्यूज रिपोर्टर को. तो कुछ प्राइवेट अस्पताल को कॉन्टैक्ट किया. पता चला ज्यादातर बेड खाली नहीं हैं और जहां बेड खाली हैं, वहां जेब भी खाली हो जाएगी. अगले आधे घंटे में, एंबुलेंस दरवाजे पर थी और मैं एंबुलेंस के अंदर.
मुझे सुपर स्पेशलिटी पीडियाट्रिक हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट टीचिंग इंस्टीट्यूट (SSPH-PGTI) मिला. इस अस्पताल को चाइल्ड पीजीआई के नाम से भी जाना जाता है. ये एक सरकारी अस्पताल है, जो उत्तर प्रदेश सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट के अंदर आता है.