भारत को चीन के विरुद्ध वैश्विक स्तर पर उत्पन्न जनक्षोभ का लाभ उठाना चाहिए ! – आर.एस.एन. सिंह, ‘रॉ’ के पूर्व अधिकारी.धारा 370 को हटाने के पश्चात अब भारत ने गिलगिट-बाल्टिस्तान पर पकड बना ली है । भारत की इस भूमिका के कारण ‘चीन-पाकिस्तान कॉरिडोर’ में भी बाधा उत्पन्न हुई है । इसी दृष्टिकोण से अब लद्दाख में उत्पन्न समस्या की ओर देखना चाहिए । ताईवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने वहां के चुनाव के पूर्व चीन के दबाव को भीख न डालते हुए स्वतंत्र ताईवान की घोषणा की थी । दूसरे महायुद्ध के पश्चात अमेरिका ने जापान, दक्षिण कोरिया एवं ताईवान की सुरक्षा का दायित्व लिया है । एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिका के वर्चस्व को रोकने हेतु चीन प्रयासरत है । इसी अवधि में चीन से विश्वभर में कोरोना का प्रसार हुआ । यह चीन द्वारा घोषित जैविक युद्ध है । उत्तर कोरिया एवं पाकिस्तान को छोड दिया जाए, तो वर्तमान में चीन विश्व में अलग-थलग पड गया है । वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति भारत के पक्ष में है । भारत को अपने सामर्थ्य को पहचानकर उसका लाभ उठाना चाहिए । सुरक्षा विशेषज्ञ तथा ‘रॉ’ एवं ‘मिलिटरी इंटेलिजेंस’ के पूर्व अधिकारी आर.एस.एन. सिंह ने ऐसा कहा है ।
हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ऑनलाइन ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’ कार्यक्रम में ‘भारत की सुरक्षा एवं चीन का बहिष्कार’ विषय पर आयोजित विशेष संवाद में वे ऐसा बोल रहे थे । सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, भारत रक्षा मंच के राष्ट्रीय महासचिव श्री. अनिल धीर, साथ ही सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने भी इस कार्यक्रम को संबोधित किया । ‘फेसबुक’ एवं ‘यू ट्यूब’ के माध्यम से प्रसारित इस ऑनलाइन कार्यक्रम को 40 हजार लोगों ने देखा, तो फेसबुक के माध्यम से 1 लाख 13 हजार लोगों तक यह विषय पहुंचा ।
इस संवाद में सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर हेमंत महाजन ने आवाहन किया, ‘‘भारत के कुछ चीनी प्रेमियों को साथ लेकर ‘भारत चीन की तुलना में दुर्बल है’, यह दुष्प्रचार बडी मात्रा में किया जा रहा है । सरकार एवं सैन्यस्तर पर भले ही इससे कुछ परिणाम न होता हो; परंतु कुछ प्रसारमाध्यम एवं कथित सुरक्षा विशेषज्ञों के कारण सामान्य जनता में भय का वातावरण बन रहा है । वास्तव में सामरिक दृष्टि से भारत तनिक भी दुर्बल नहीं है । लद्दाख में भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को उत्तर देकर इसे दिखा दिया है । अतः प्रत्येक भारतीय व्यक्ति को भारतविरोधी संदेश को आगे न भेजकर उस संदर्भ में पुलिस विभाग को जानकारी देनी चाहिए ।’’
भारत रक्षा मंच के श्री. अनिल धीर ने कहा, ‘‘चीन ने लद्दाख में की हुई शरारत केवल एक भासमान युद्ध है । भारत के विरुद्ध युद्ध करने से उसके अंतरराष्ट्रीय स्तरपर क्या परिणाम हो सकते हैं, यह चीन भलीभांति जानता है । इसलिए भारत को पाकिस्तान की भांति चीन के कुकृत्य भी अंतरराष्ट्रीय स्तरपर रखने चाहिए । चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने के साथ ही भारत को आत्मनिर्भर होना आवश्यक है ।’’
सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा, ‘‘जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब चीन की सीमा भारत से सटी हुई नहीं थी; परंतु चीन ने ताईवान, हाँगकाँग, अक्साई चीन, तिब्बत आदि भूप्रदेश हडपकर विस्तारवादी नीति का परिचय दिया । तिब्बत पहले भारत का अंग था । हिन्दुओं के आस्था केंद्र कैलास पर्वत एवं मानसरोवर वहीं स्थित हैं । साम्राज्यवादी चीन का अनेक देशों के साथ सीमाविवाद चल रहा है । ऐसे समय भारत को तिब्बत को स्वतंत्र देश के रूप में सहमति देकर चीन को उचित उत्तर देना चाहिए ।’
शैलेश तिवारी.