:- इस लाकडॉन के समय में अपने आप को फिट रखना, हर प्रकार के वायरस जनित रोगो से बचने के लिए अपने रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाना एक बहुत बड़ी चुनौती है।
योग और आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए बहुत ही बेहतरीन तरीके बताए गए है ।
प्रतिदिन ये प्राणायाम करने से हमारे रोग प्रतिरोधी क्षमता में बहुत ही विकास होता है:- भ्रार्मरी, कपालभाति, अनुलोम विलोम , उज्जयी , भस्त्रिका . इन प्राणायामो को करने से हमारा स्वसन तंत्र मजबूत हो जाता है जिससे कि कोई भी वायरस जनित रोग से आसानी से बचा जा सकता है।
योगाभ्यास में सूक्ष्म व्यायाम के बाद प्रतिदिन प्रातः काल में सूर्य नमस्कार करना बहुत ही फायदेमंद है इससे शरीर एवं मन स्वस्थ एवं मजबूत होते हैं साथ ही इससे कमर दर्द घुटने का दर्द पीठ दर्द पाचन संबंधी समस्याएं स्वसन समस्याओं से निजात मिलता है । ( यह सभी आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं , कमर पीठ मैं चोट वाले रोगी , गर्भवती महिलाएं ना करें )
बच्चों के लिए योग :- आसन :-तिर्यक ताड़ासन कटिचक्रासन( 5-5 चक्र) सूर्यनमस्कार (5 चक्र ),हलासन पश्चिमोत्तानासन , कुक्कुटासन, नटराजआसन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन ,पद्मासन ,अंत में शवासन 5 मिनट ।
बच्चों के लिए प्राणायाम :- अनुलोम-विलोम ,नाड़ी शोधन, शीतली ,भ्रामरी ,भस्त्रिका।
विशेष :- कपालभाति 25 से 50 चक्र नियमित , त्राटक, योगनिद्रा, गायत्री मंत्र जाप।।
युवाओं के लिए योग :- यौगिक सूक्ष्म क्रियाएं ,तिर्यक ताड़ासन ,कटिचक्रासन( 5-5 चक्र) ,सूर्य नमस्कार( 5 चक्र ,)शवासन 15 मिनट ,हलासन, पश्चिमोत्तानासन धनुरासन ,पद्मासन ,सिद्धासन अर्धमत्स्येंद्रासन क्षमता अनुसार, अंत में शवासन 5 मिनट ।
युवाओं के लिए प्राणायाम :- नाड़ी शोधन, शीतली ,भ्रामरी और भस्त्रिका।
महिलाओं के लिए योगाभ्यास :- आसन :- संघी संचालन के आसन , सूर्य नमस्कार तीन या चार चक्र ,। शवासन 15 मिनट, भुजंगासन ,शलभासन, ताड़ासन , उदर संचालन एवं शक्ति संवर्धन के अभ्यास।।
महिलाओं के लिए प्राणायाम :- अनुलोम-विलोम ,नाड़ी शोधन उज्जायी और भ्रामरी।
महिलाओं के लिए प्रज्ञा योग व्यायाम अत्यंत उत्तम है ।
वृद्धों के लिए योगाभ्यास :- सूर्यनमस्कार (एक से चार चक्र यदि संभव हो तो)
शवासन या मकरासन 15 मिनट मार्जरी आसन( कैट पोज) ,वक्रासन वज्रासन ,शशांक आसन भुजंगासन, शलभासन , तिर्यक ताड़ासन, कटिचक्रासन।
वृद्ध लोगों के लिए प्राणायाम : नाड़ी शोधन, भ्रामरी, उज्जाई अनुलोम विलोम और सूर्यभेदी।
विशेष:- योगनिद्रा, गायत्री मंत्र जाप ।
*नए योग करने वाले लोगों के लिए
सुखासन मुद्रा में 5 मिनट का ध्यान, मर्जरी आसन , दंडासन , वज्रासन, ताड़ासन , तितली आसन का 5 से 7 बार का अभ्यास लाभकारी है ।
भोजन के बारे में हिप्पोक्रेट्स का एक कथन बहुत ही प्रासंगिक है ।
let the food be medicine; and let the medicine be food.
आहार ही एक औषधि है और औषधि ही आहार है ।
इसलिए हमें अपने आहार का विशेष ख्याल रखना चाहिए।
शाकाहार अति उत्तम है और रोगकारी नहीं है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए अपने आहार में , नींबू आंवला, नीम, तुलसी, अश्वगंधा तथा गिलोय को शामिल करें।
योग शिक्षिका रूपाली शर्मा के द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए विशेष योगा और आहार सुझाव ।