कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बड़ा दावा करते हुए यह बात कह दी है कि चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए फंडिंग की है। आगे कानून मंत्री कहते हैं कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन ने पैसे दिए तो कांग्रेस ये बताए कि यह प्रेम कैसे बढ़ गया, इनके कार्यकाल में ही चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा किया। एक कानून है जिसके तहत कोई भी पार्टी बिना सरकार की अनुमति के विदेश से पैसा नहीं ले सकती… कांग्रेस स्पष्ट करे कि इस डोनेशन के लिए क्या सरकार से मंजूरी ली गई थी???
आगे उन्होंने यह भी कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए डोनर की सूची है 2005-06 की… जिसमें चीन के एम्बेसी ने डोनेट किया ऐसा साफ लिखा है। ऐसा क्यों हुआ? क्या जरूरत पड़ी? इसमें कई उद्योगपतियों, पीएसयू का भी नाम है। क्या ये काफी नहीं था कि चीन एम्बेसी से भी रिश्वत लेनी पड़ी…
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि क्या यह सब सोची समझी रणनीति के तहत हुआ, जिसके बाद कांग्रेस की सरकार में भारत और चीन के बीच व्यापारीय घाटा तैंतीस गुना बढ़ गया है। कांग्रेस पार्टी जवाब दे कि आखिर चीन के प्रति इतना प्रेम क्यों उमड़ गया था कि पार्टी के साथ एमओयू साइन हो रहे थे? राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी दूतावास पैसा दे रही है… आप भारत और चीन के बीच फ्री ट्रेड की बात कर रहे हैं…
उन्होंने आगे कहा कि एक समय कांग्रेस के राज में चीन को अपने देश का इतना बड़ा भूभाग दे दिया है। दस साल से शासन में कांग्रेस के लोग चीन के सामने घुटने टेके हुए थे इसलिए जब कभी चीन को लेकर सवाल उठते थे उनके रक्षा मंत्री प्रभावी जवाब नहीं देते थे।
कानून मंत्री ने एक और सवाल खड़ा करते हुए यह बात कही है कि एक कानून है फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेटरी एक्ट 1976। इसमें धारा चार, पांच, छह और तेईस में कहा गया है कि कोई भी उम्मीदवार विदेश से पैसा नहीं ले सकता है। कोई भी राजनीतिक पार्टी विदेश से पैसा नहीं ले सकती है कोई भी राजनीतिक टाइप का संगठन, बिना सरकार के अनुमति के विदेशी फंड नहीं ले सकती… मेरा मानना है कि राजीव गांधी फाउंडेशन एक प्रकार से कांग्रेस का एक्सटेंशन था… क्या उन्होंने चीन से पैसा लेने से पहले केंद्र सरकार की अनुमति ली थी?
वह यहीं नहीं रूके… उन्होंने आगे सवाल खड़े करते हुए कहा कि कानून के मुताबिक कोई भी संस्थान अगर विदेशी फंड लेता है तो उसे इससे संबंधित सभी जानकारी सरकार को देनी होती है। क्या राजीव गांधी फाउंडेशन ने सरकार को चीन से लिए गए डोनेशेन की जानकारी दी थी? क्या उन्होंने बताया था कि किन शर्तों पर डोनेशन लिया और आपने इसका क्या उपयोग किया? अगर आपने जानकारी नहीं दी तो क्यों नहीं दी और अगर दी तो क्या ये बताया कि हम चीन के साथ फ्री ट्रेड के बदले में ये पैसा ले रहे हैं?
हलांकि इससे पहले बीजेपी से जुड़े सूत्रों ने जानकारी दी है कि भारत स्थित चीनी उच्चायोग, राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) के लिए लंबे वक्त से फंडिग करता रहा है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, राजीव गांधी फाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं। जबकि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इस बोर्ड के सदस्य हैं। राजीव गांधी फाउंडेशन की सलाना रिपोर्ट के मुताबिक साल 2005-06 में आरजीएफ को चीनी दूतावास की तरफ से डोनेशन मिला था। चीनी दूतावास को सामान्य दाताओं की सूची में रखा गया है।
आपकी जानकारी के अनुसार डोनेशन देने की शुरुआत तब हुई जब राजीव गांधी फाउंडेशन ने कई सारे स्टडीज का हवाला देते हुए यह बताने की कोशिश की थी कि भारत और चीन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) यानी कि बिना रोक-टोक के आयात-निर्यात का होना बेहद जरूरी है।
प्रिया की रिपोर्ट.