राकेश कुमार, मुख्य संवाददाता, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भारत विरोधी बयान महंगा पड़ सकता है। प्रधानमंत्री श्री ओली ने पीएम पद से इस्तीफा देने के दबाव के बीच कैबिनेट की आपातकालीन बैठक बुलाई है। मिली खबर के मुताबिक ओली ने देर रात चीनी राजदूत से भी मुलाक़ात कर मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। पार्टी में आंतरिक विरोध के बाद पार्टी को टूटने से बचाने के लिये उन्हें पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।
मामले की गंभीरता इसी से समझ जा सकता है कि केपी शर्मा ओली कैबिनेट में अपने करीबी मंत्रियों के साथ मैराथन बैठक करने में लगे रहे थे। इसके बाद पूरे कैबिनेट की आपात बैठक भी शुरू होने की खबर है।जानकारों का मानना है कि अगर ओली प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देते तो दबाव बनाने के लिए माओवादी खेमे के मंत्री इस्तीफा भी दे सकते हैं, जिसका इशारा पूर्व में ही पुष्प दहल प्रचंड़ दे चुके हैं। जबकि दूसरी ओर ओली पार्टी की स्थाई समिति की इस्तीफे की मांग न मानकर संसदीय दल में बहुमत जुटाने का विकल्प चुन सकते हैं। ज्ञात हो कि पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कहा है कि भारत के संदर्भ में प्रधानमंत्री की टिप्पणी न तो राजनीतिक तौर पर ठीक थी न ही कूटनीतिक तौर पर यह उचित थी। विगत रविवार को प्रधानमंत्री आवास पर सत्तारूढ़ पार्टी की स्थायी समिति की बैठक शुरू होते हुए ही प्रचंड ने प्रधानमंत्री द्वारा भारत के संदर्भ में कई गई टिप्पणी के लिए उनकी कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने कहा, ‘भारत उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने का षड्यंत्र कर रहा है, प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी न तो राजनीतिक तौर पर ठीक थी न ही कूटनीतिक तौर पर यह उचित थी।
ऐसा माना जा रहा था कि चीन के उकसावे के कारण ही ओली भारत के विरोधी में मुखर दिखाई दे रहे थे। ख़बरें हैं कि मुश्किल वक़्त में चीन ने भी ओली का साथ छोड़ दिया है। सूत्रों की माने तो कल देर रात तक बैठकों की दौर चलती रही, इसी दौरान चीनी राजदूत को भी प्रधानमंत्री निवास में बुलाया गया था। जहां चीनी राजदूत ने असमर्थता जताकर पल्ला झाड़ लिया। अब पार्टी को टूटने से बचने के लिए ओली का इस्तीफा ही एकमात्र विकल्प माना जा रहा है।अगर ओली पीएम पद छोड़ देते हैं तो पार्टी अध्यक्ष के पद ओली काबिज रह सकते हैं।