बिहार सरकार जलजीवन हरियाली अभियान व मनरेगा के माध्यम से प्राकृतिक जल स्रोतों को बचाने तथा उन्हें विकसित करने का चाहे जितना सफल दावा कर ले लेकिन पजिअरवा के ऐतिहासिक , पौराणिक अतिक्रमित तालाब को देखकर उनका सारा दावा खोखला नजर आने लगता है । सुगौली प्रखंड के पजिअरवा गांव में लगभग 12 से 15 एकड़ का एक प्राचीन गैरमजरूआ पोखर पिछले 45 से 50 वर्षों में लोगों के अतिक्रमण के कारण अब विलुप्ती के कगार पर पहुँच गया है । पहले यह तालाब जलसंरक्षण के साथ , मत्स्यपालन , मवेशियों को पानी पिलाने से लेकर बाढ़ नियंत्रण तक मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था । इतना ही नहीं इसकी ऐतिहासिकता इस बात में भी है कि इसके उत्तरी आंट (किनारे) पर लगभग 5 हजार जनसंख्या वाले पजिअरवा गांव के हिन्दू धर्मावलंबी बरगद के पेड़ के नीचे प्राचीनकाल से छठ पूजा और अर्घ्य देते आ रहे है । वर्तमान में अतिक्रमणकारियों के शौचालयों व घरों के गंदा पानी का बहाव इसी तालाब में हो रहा है जिसके कारण अब यह पूरी तरह गंदगी के अंबार में बदल गया है ।इसके स्वच्छ निर्मल पानी गंदगी व बदबू में तब्दील हो गया है । इस स्थिति में लोग कैसे प्रदूषित पानी मे खड़े होकर छठ माता को अर्घ्य दे सकते है ?
ग्रामीण लगभग दो दशकों से इसके जीर्णोद्धार अतिक्रमणमुक्ति और साफ़ सफाई के प्रयास में लगे हुए है । स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक को समय समय पर पत्र के माध्यम से सूचित किया जाता रहा है । साथ ही न्यायालय के माध्यम से भी प्रयास किया गया है । वर्तमान में सोशल मीडिया के माध्यम से भी युवा इस मुद्दे को जोर शोर से उठा रहे है जिसमें वे जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक को टैग कर अपना पक्ष रखते है ।आमजन बिना किसी सरकारी सहायता के आपसी चंदा व श्रम तथा जेसीबी द्वारा इसकी सफाई समय समय पर करते रहे है । जिसकी सूचना प्रशासन को भी है ।
2018 में अंचलाधिकारी सुगौली ने 104 अतिक्रमणकारियों को नोटिस देकर जमीन खाली करने का आदेश दिया था लेकिन आजतक उसपर कोई करवाई नहीं हुई । उल्टे इसके चारों तरफ से और मिट्टी भरकर लोगों ने अपनी अबैध जमीन का विस्तार ही किया ।
मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने दिसंबर 2019 तक अपने महत्वकांक्षी योजना ” जलजीवन हरियाली अभियान ” के माध्यम से राज्य के सभी अतिक्रमित व विलुप्ति के कगार पर खडे जलस्रोतों – तालाबों , आहर, कुँआ , पइन के कब्जामुक्ति का संकल्प लिया था । शहर या गांव कही भी अतिक्रमण हटाने के दौरान छत छीन जाने वाले गरीबों को 60 हजार रुपये की सहायता सीएम आवास स्थल क्रय योजना के तहत देने का निर्णय के साथ विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत उन्हें स्थापित कराने का निर्देश सरकार ने दिया है फिर भी इन्हें अन्यत्र बसाने की कोई योजना जिला प्रशासन के पास नहीं है । कोरोना महामारी में बाहर से आए श्रमिकों को अपने घर के आसपास विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से रोजगार देने की बात हो रही है , अगर इसके जीर्णोद्धार के योजना पर कार्य शुरू होता है तो बहुत सारे जरूरतमंदों को एक ही स्थान पर लंबी अवधि तक काम सुनिश्चित हो पाता । इन सब योजनाओं में पजिअरवा का यह पोखरा कहीं से प्रशासन के प्राथमिकता में नहीं दिखता ।
स्थानीय सांसद व बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री संजय जायसवाल एवं स्थानीय विधायक श्री रामचन्द्र सहनी लोगों को जल्द से जल्द जीर्णोद्धार व अतिक्रमणमुक्ति का संतावना देते रहते है । विधायक जी ने विधानसभा में सवाल भी किया था लेकिन उस पर भी कोई कारवाई नहीं हुई । आखिर कब यह पौराणिक व ऐतिहासिक तालाब अतिक्रमण से मुक्त होगा यह अभी भी सवाल बना हुआ है । वर्तमान जिलाधिकारी के प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण व अन्य पोखरों , तालाबों के सफाई करवाने के बाद लोगों में एक उम्मीद की किरण जगी है लेकिन फिर वही सवाल आखिर कब ?
प्रहलाद मिश्रा, संवाददाता.