कोरोना वायरस ने करीब 7 महीने पहले भारत में दस्तक दी थी. तब से लेकर अब तक हालात बिल्कुल बदल गए हैं. अब न सिर्फ एक दिन में हज़ारों की संख्या में लोग इस वायरस के शिकार हो रहे हैं, बल्कि इस बीमारी ने अपना मिजाज भी बदल लिया है. अब ये वायरस किसी मरीज के सिर्फ फेफड़ों (Lungs) पर ही अटैक नहीं करता, बल्कि ये ब्रेन, किडनी और हार्ट को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा रहा है. इस बात का खुलासा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) यानी एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने किया है.एक साथ कई अंगो पर हमला.देश में कोरोना क्लीनिकल रिसर्च टास्क फोर्स के प्रमुख डॉक्टर गुलेरिया ने इस वायरस के बदलते रूप को लेकर कहा कि ये अब ‘सिस्टेमिक डिजीज’ बन गया है. मेडिकल साइंस की भाषा उस बीमारी को सिस्टेमिक डिजीज कहा जाता है, जो एक साथ शरीर के कई अंगों पर हमला करता हो. उन्होंने कहा कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई मरीजों को फेफड़ों में काफी दिक्कते आती है. हालत ये है कि कई महीनों के बाद भी ऐसे मरीजों को घर पर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है.बेहद खतरनाक हुआ कोरोना.डॉक्टर गुलेरिया के मुताबिक, अब ये वायरस बेहद खतरनाक हो गया है. उन्होंने कहा, ‘पहले हमने सोचा था कि ये सिर्फ एक निमोनिया की तरह है. बाद में हमने देखा कि मरीजों के खून जम रहे हैं. इसकी वजह से फेफड़े और हार्ट बंद होने लगे और लोगों की मौत होने लगी. अब हम देख रहे हैं कि ये मस्तिष्क पर भी हमला कर रहा है. इसके अलावा लोगों को न्यूरोलॉजिकल परेशानियां हो रही है. शुरुआत में हमने सोचा कि ये सब एक बड़ा मुद्दा नहीं है. लेकिन अब ये एक गंभीर समस्या बन गई है.’तीन महीने बाद भी वायरस का असर.डॉक्टर गुलेरिया के मुताबिक सीटी स्कैन में ये भी पता चला है कि वायरस से उबरने के तीन महीने बाद भी फेफड़ों में समस्या रहती है. लिहाजा कई लोगों को घर पर भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. उन्होंने ये भी कहा कि कई हफ्तों के बाद भी लोग कमजोरी की शिकायत कर रहे हैं. डॉक्टर के मुताबिक लोग कहते हैं कि उन्हें काम पर जाने की हिम्मत नहीं हो रही है. उन्होंने ये भी कहा कि कई मरीजों में ये भी देखा गया है कि उन्हें गंभीर न्यूरोलॉजिकल परेशानियां हो रही है.
धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट.