नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अयोध्या और भगवान राम को लेकर की गई बेतुकी टिप्पणी पर वे घर में ही घिरते नज़र आ रहे हैं. ओली के इस बयान का न सिर्फ सोशल मीडिया पर मजाक बनाया जा रहा है, बल्कि कई बड़े नेताओं ने भी इसे लेकर आपत्ति जाहिर की है. यहां तक कि नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी पहले ही ओली को भारत विरोधी बयानों के लिए चेतावनी दे चुकी है. ऐसे में उनका ये बयान नेपाल में जारी राजनीतिक संकट को हवा देने वाला साबित हो सकता है.नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प दहल कमल प्रचंड पार्टी मीटिंग के दौरान ओली को पहले भी जुबान को कंट्रोल में रखने की सलाह दे चुके हैं. प्रचंड ने ओली की कड़ी आलोचना की थी, जब उन्होंने आरोप लगाया था कि दिल्ली में बैठकर उन्हें कुर्सी से हटाने की साजिश रची जा रही है. अब ओली ने दावा कर दिया है कि भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण के लिए नकली अयोध्या का निर्माण किया है. जबकि, असली अयोध्या नेपाल में है. ओली ने सवाल किया कि उस समय आधुनिक परिवहन के साधन और मोबाइल फोन (संचार) नहीं था तो राम जनकपुर तक कैसे आए?नेपाली लेखक और पूर्व विदेश मंत्री रमेश नाथ पांडे ने ट्वीट किया है, “धर्म राजनीति और कूटनीति से ऊपर है. यह एक बड़ा भावनात्मक विषय है. अबूझ भाव और ऐसी बयानबाज़ी से आप केवल शर्मिंदगी महसूस करते हैं. और अगर असली अयोध्या बीरगंज के पास है तो फिर सरयू नदी कहाँ है?”नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबू राम भट्टाराई ने ओली के बयान पर व्यंग्य किया है. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा है, “आदि-कवि ओली द्वारा रचित कल युग की नई रामायण सुनिए, सीधे बैकुंठ धाम का यात्रा करिए.”ओली के खिलाफ बोले कई नेता, राष्ट्रीय प्रजातांत्री पार्टी के सह-अध्यक्ष कमल थापा ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री के लिए इस तरह के निराधार, अप्रमाणित बयानों से बचना चाहिए. थापा ने ट्वीट किया, ‘ऐसा लग रहा है कि पीएम तनावों को हल करने के बजाय नेपाल-भारत संबंधों को और खराब करना चाहते हैं.’ सिर्फ कमल ही नहीं नेपाल राष्ट्रीय योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष स्वर्णिम वागले ने चेतावनी दी कि भारतीय मीडिया पीएम के ऐसे बयान से विवादास्पद सुर्खियां बटोर सकता है और बना सकता है.नेपाली कवि भानुभक्त आचार्य की 206वीं जयंती पर प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास ब्लूवाटर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि नेपाल पर सांस्कृतिक रूप से अत्याचार किया गया है. ऐतिहासिक तथ्यों को भी तोड़ा मोड़ा गया है. हम अब भी मानते हैं कि हमने भारतीय राजकुमार राम को सीता दी थी. सोशल मीडिया पर भी प्रधानमंत्री ओली के के अयोध्या इस बयान पर लोग काफी मजाक उड़ा रहे हैं. इस विवादित बयान के दौरान ही खुद ओली ने कहा था कि कई बुद्धिजीवी यह कहने के लिए उनका मजाक उड़ाएंगे कि राम नेपाल के थे.इस्तीफे से ध्यान हटाने की कोशिश.ओली के ऐसे बयानों को उनके इस्तीफे से ध्यान हटाने की कोशिशों की तरह भी देखा जा रहा है. नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी दो टुकड़े होने की कगार पर है और ऐसा न हो इसके लिए प्रचंड समर्थकों ने एक ही शर्त रखी है कि ओली इस्तीफ़ा दे दें. हालांकि ख़बरों के मुताबिक बजट सत्र को स्थगित करने के बाद अब केपी ओली एक अध्यादेश लाकर पार्टी को तोड़ सकते हैं.सूत्रों के मुताबिक ओली वहां मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के संपर्क में हैं और बिना प्रचंड धड़े के ही सर्कार बनाए रखने का रास्ता तलाश रहे हैं. ओली के समर्थन में चीनी राजदूत भी लगातार नेपाल के बड़े नेताओं के साथ मीटिंग्स कर रहीं हैं.
राकेश कुमार की रिपोर्ट.