पटना, ३०जुलाई। मानव–जाति के पास भाषा नही होती तो यह संसार मूक–बधिर रह जाता। भाषा और मन की दुर्लभ परस्परता ने इस सृष्टि में, मानव को सर्वश्रेष्ठ प्राणि होने का गौरव प्रदान किया है। इन दोनों में अभिव्यक्ति की दृष्टि से भाषा का प्राथमिक महत्व है।
यह बातें गुरुवार की संध्या, प्रसिद्ध भाषा–शास्त्री तथा विश्वविद्यालय सेवा आयोग, बिहार के पूर्व अध्यक्ष प्रो शशिशेखर तिवारी ने, ‘जीवन में भाषा का महत्त्व‘ विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए कही। वे बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के फ़ेसबुक पटल पर लाइव थे। उन्होंने कहा कि,यदि भाषा विकसित न की गई होती, तो मानव–जीवन अन्य प्राणियों की भाँति ही होता। समस्त संसार ही नही, मानव–मन भी मूक और बधिर ही रहता। इस लिए शताब्दियों पूर्व भारतीय मनीषियों ने भाषा की अपार सृजनात्मक शक्तियों की पहचान करते हुए, उसे वागेश्वरी के रूप में देवतव से मंडित किया।
लगभग एक घंटे के व्याख्यान में प्रो तिवारी ने विस्तारपूर्वक भाषा की उत्पति, उसके निरंतर हुए परिष्कार और महत्व की सोदाहरण चर्चा की, जिसका पटल से सीधे जुड़कर, सैकड़ों विदुषियों और विद्वानों ने लाभ उठाया। अपनी प्रतिक्रिया में सुधी दर्शकों ने, भाषा–विज्ञान की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण इस व्याख्यान के लिए साधुभाव प्रकट किया।
आरंभ में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने प्रो शशि शेखर तिवारी का पटल पर हार्दिक अभिनंदन किया तथा पटल से जुडे सुधी दर्शकों एवं साहित्यकारों के प्रति आभार प्रकट किया। उन्होंने बताया कि अगला फ़ेसबुक लाइव का कार्यक्रम २ अगस्त को, संध्या ६ बजे आहूत होगा, जिसमें राँची विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डा जंगबहादुर पाण्डेय राँची से लाइव होंगे।