पटना, ६ जुलाई। “तेरा दिया हर घाव सीना चाहती हूँ/ ज़िंदगी तुझे फिर जीना चाहती हूँ/ जितना भी तय किया सफ़र, अकेले ही तय किया/ बढ़कर किसी ने मुझको सहारा नही दिया— “। इन और ऐसी ही दिल को छूने वाली पंक्तियों के साथ मंगलवार की संध्या, देश की सुप्रतिष्ठ कवयित्री डा मधु भारद्वाज, ताजमहल के शहर आगरा से, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के फ़ेसबुक पटल पर लाइव रहीं। सैकड़ों की संख्या में सुधी दर्शक, सम्मेलन की इस पटल से जुड़ कर गीत-ग़ज़लों का आनंद उठाते रहे, और अपनी प्रतिक्रिया भी लिखते रहे।
अपने कातर भावों को व्यक्त करते हुए उन्होंने यह गीत पढ़ा कि, “अरमानों के बादल आए/उमड़े-घुमड़े, नभ पर छाए/ पर दैवी झंझावातों ने सब छिन्न-भिन्न कर उड़ा दिए/ पानी की बूँद नही बरसी/ सावन सूखा ही पड़ा रहा”। कवयित्री ने अपने कोमल अहसास को कुछ इस तरह प्रकट किया – “आज अपने बजूद को देखती हूँ, तुम्हारी साँसों में/ तो मुझे अपने होने का अहसास होता है/ तुम्हारे सीने पर हाथ रख कर/ मैं अपने दिल की धड़कनें महसूस करती हूँ/ मेरे सीने में एक दिल है, अहसास होता है।”
‘रक्षा-बंधन’ और भाई-बहन के शास्वत प्रेम को स्मरण करते हुए,उन्होंने ये पंक्तियाँ पढ़ी कि “अटूट रिश्तों के रेशमी धागे/ डोर प्रेम की इनको बांधे/ अमर प्रेम है भाई-बहिन का / बंधन सब फीके, इसके आगे”। प्रेम का अर्थ बताने वाली अपनी कविता में उन्होंने कहा- “याद करो जब तुम प्रेम में थे/ तुम्हारे भीतर गहरे जुड़ाव की नदी उमड़ती थी/ तुम दुर्गम पहाड़ियों तक दौड़ लगा लेते थे/ समंदर का विस्तार लाँघ जाते थे/ हर ज्वार को थाम लेते थे/ ज़मीन तुम्हारी हो जाती थी/ आकाश तुम्हारा हो जाता था/ कोई चुपचाप आकर, तुम्हारी बाहों में सो जाता था/ याद करो जब तुम प्रेम में थे।”
आरंभ में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कवयित्री का पटल पर हार्दिकता से स्वागत किया और पूरी देश-दुनिया से बड़ी संख्या में इससे जुड़े सुधी साहित्यकारों एवं साहित्य-प्रेमियों के प्रति आभार प्रकट किया। डा सुलभ ने बताया कि फ़ेसबुक लाइव का अगला कार्यक्रम ७ अगस्त को, संध्या ६ बजे से आहूत है, जिसमें ओज और राष्ट्रीय भाव के चर्चित कवि भूवनेश सिंघल ‘भुवन’, दिल्ली से लाइव रहेंगे।