सचिन पायलट की कांग्रेस में वापसी आखीरकार हो ही गई और इसी के साथ ही राजस्थान में बीते लंबे समय से चल रहा राजनीतिक संकट आखिरकार समाप्त हो गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जिनके खिलाफ पायलट ने बगावत की थी, वह भी अब यह साफ कहते नज़र आ रहे हैं कि वह पायलट खेमे की ओर से उठाई गई शिकायतों को ज़रूर से सुनेंगे।
बता दें कि पायलट की पार्टी में वापसी उनकी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात के बाद ही तय हो गया था। दरअसल, वह प्रियंका गांधी ही थीं जिन्होंने गहलोत और पायलट के बीच विवाद में हल की संभावना को खोज निकाला था लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पायलट की वापसी सुनिश्चित करने का फैसला कांग्रेस ने यूं ही नहीं लिया था बल्कि इसके पीछे कुछ बहुत अहम कारण और चुनावी समीकरण भी रहे हैं।
दूसरी ओर पायलट की वापसी में वोट बैंक का खेल कांग्रेस को पायलट की जरूरत ना केवल राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए बल्कि लोकसभा चुनाव के लिए भी महसूस हुई। प्रियंका गांधी साल 2022 में उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों के लिए भी जमीन तैयार कर रही हैं। राज्य में करीब 55 फीसदी सीटें गुर्जर समुदाय के प्रभुत्व वाली हैं जहां पायलट का प्रभाव हमेशा से अच्छा रहा है।
और तो और अगर पायलट कांग्रेस छोड़ देते तो पार्टी को खासा नुकसान पहुंच सकता था। इसके अलावा यह समुदाय मध्यप्रदेश की 14 सीटों की राजनीति भी तय करता है। व साथ ही हरियाणा, दिल्ली और उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों की बात करें तो कई विधानसभा क्षेत्रों में गुज्जर समुदाय मजबूत स्थान रखता है।
बताते चलें कि साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का एक कारण गुर्जर समुदाय से मिला समर्थन को भी माना जाता है। पार्टी का करीब 70 फीसदी वोटबैंक इसी समुदाय का है। ऐसे में जब प्रियंका ने समुदाय पर पायलट के प्रभाव को ना केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश में समझा, उन्होंने तुरंत गहलोत और पायलट के बीच चल रहे विवादों को खत्म करने की शुरुआत कर दी थी।
प्रिया की रिपोर्ट.