आजादी के जश्न में साहित्य प्रेमी और बिहारवासी डूब चुके है. हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉक्टर अनिल सुलभ ने सम्मेलन परिसर में झंडोत्तोलन किया। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार बहुत कम साहित्य प्रेमी झंडातोलन समारोह में पहुंचे। इस बार कोरोना के कारण साहित्यप्रेमी घर से निकलने मे सावधानी बरत रहें है । स्कूल-कॉलेज बंद हैं। ऐसे में कोरोना के साये के बीच राजधानी वासी घरों में रहकर ही आजादी का पर्व मना रहे हैं. देश अपना 74 वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. झंडा तोलन के अवसर पर स्वतंत्रता आंदोलन के पुरोधाओ को याद कर डॉक्टर अनिल सुलभ का आँख नम हो गया. इस अवसर पर अनेक शिक्षाविद उपस्थित रहे. बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, क़दमकुआं, पटना में, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने ध्वजारोहण किया ! उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के पूर्व देश के साहित्यकारों ने स्वाधीनता के लिए देश को जगाया था, अब इस समाज को देश के उन्नयन में सार्थकता प्रदान करने वाले सृजन से जुड़ना चाहिए ! देश में प्रेम और सद्भाव की वृद्धि हो तथा सम्पूर्ण भारत एक स्वर से राष्ट्र का जयगान करे, हमें यह प्रेरणा भरनी होगी !
इस अवसर पर सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, साहित्यमंत्री डा भूपेन्द्र कलसी, राज कुमार प्रेमी, कुमार अनुपम,डा सुलक्ष्मी कुमारी, डा शालिनी पाण्डेय, डा नागेश्वर प्रसाद यादव, कृष्णरंजन सिंह, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, संजीव कर्ण, राज किशोर झा, सच्चिदानंद शर्मा, आनंद मोहन झा, प्रणव समाजदार, अहसास मणिकांत आदि उपस्थित थे !