मास्को. विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की आलोचना की परवाह किए बिना रूस ने कोरोना की वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दिया है. रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि गमलेया वैज्ञानिक शोध संस्थान की ओर से विकसित की गई इस कोरोना वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दिया गया है. अधिकारियों ने कहा है कि वे अगले 12 महीने में कोरोना वायरस वैक्सीन के 50 करोड़ डोज बनाने में सक्षम हैं. रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि यह वैक्सीन सभी जरूरी जांच से गुजरी है और कोरोना वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में सफल साबित हुई है. इस वैक्सीन को दो बार लगाया जाता है और उम्मीद की जा रही है कि यह वायरस के खिलाफ करीब दो साल के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करेगी. इस वैक्सीन को 76 लोगों पर अलग अलग टेस्ट किया गया है.रूसी अधिकारियों ने कहा कि इस वैक्सीन का उत्पादन जल्द ही विदेशों में भी शुरू होगा और यूएई, सऊदी अरब तथा फिलीपीन्स में ट्रायल शुरू होने जा रहा है. उधर, ब्रिटिश अखबार डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी वैक्सीन कितना प्रभावकारी और सुरक्षित है इसकी जांच नहीं की गई है. यही नहीं इस वैक्सीन का साइड इफेक्ट भी नजर आया ह.। बता दें कि पुतिन ने कहा था कि उनकी बेटी को भी यह वैक्सीन दिया गया है. 38 वॉलंटियर्स को ही केवल ये वैक्सीन दिए गए हैं. वैक्सीन देने के बाद उनमें 144 तरह के साइड इफेक्ट का दावा किया है. यह भी कहा गया है कि ट्रायल के 42 वें दिन तक 31 वॉलंटियर्स में साइड इफेक्ट नजर आ रहे हैं. सवालों के बीच रूस ने कहा है कि उसकी वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और उसे करीब 20 देशों से इस वैक्सीन के लिए ऑर्डर भी मिल चुका है.
धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट.