सबौर से आगे बढ़ते ही लोगों को समझ में आ जाता है कि बिहार में विकास कहाँ तक पहुँचा है। एक ओर कोरोना की मार और दूसरी ओर आर्थिक तंगी। सबसे अधिक इसका असर अगर कहीं पड़ा है तो वह है गाँव में। बेरोजगारों की फ़ौज बढ़ती चली जा रही है, एक नेता या जन प्रतिनिधि नहीं आया लोगों को पूछनें की आप कैसे है। कोरोना सजगता एवं डिजिटल सदस्यता अभियान की एक सभा में बोलते हुये यह बात बिहार कांग्रेस रिसर्च विभाग एवं मैनिफ़ेस्टो कमिटी के चेयरमैन आनन्द माधव ने कही। आनन्द माधव सबौर में ममलखा पंचवटी आश्रम एवं हरिदासपुर में दो अलग अलग जगह लोगों को संबोधित कर रहे थे।श्री माधव ने कहा कि कई परिवारों में तो भुखमरी की स्थिति हो गई है।आगे बोलते हुआ उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ पूरा देश जंग लड रहा है लेकिन कोरोना का स्वरूप भारत में कयों इतना भयावह हो गया, कौन है इसका ज़िम्मेवार यह भी सोचना होगा और ज़िम्मेवारी तय करनी होगी। उन्होंने कहा कि 30 जनवरी को कोरोना का पहला केश आया, सरकार सचेत नहीं हुई, राहुल गांधी जी ने 12 फ़रवरी को चेतावनी दी सरकार सचेत नहीं हुई क्योंकि सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के आव भगत में लगा हुआ था एवं मध्य प्रदेश की सरकार को दुकानें में लगा हुआ था।उसे जनता की चिन्ता नहीं थी फिर अचानक से लॉक डाउन लगा दिया जिससे प्रवासी मज़दूरों में त्राहि त्राहि मच गया।सब नेता अपने अपने मांद में चले गये।श्री माधव ने कहा कि हमें कोरोना के नियमों का सख़्ती से पालन करना चाहिये। तन नहीं मन मिलायें, मास्क पहनें एवं साबुन से हाथ धोयें। लोगों ने शिकायत करते हुए कहा कि ना कोई नेता मिलनें आये है और ना ही कहीं से कोई मदद ही आ पाया है।बैठक को युवा नेता प्रपुन प्रताप यादव, अनिल कुमार वर्मा, विजय सिंह कुशवाहा, अभिषेक अर्नब आदि लोगों ने भी संबोधित किया। दोनों ही जगह तथा गाँव में श्री माधव ने लोगों के बीच में मास्क का वितरण किया। विदित हो कि इसके पहले भी श्री आनन्द माधव ने सबौर तथा नाथनगर में पचास हज़ार साबुन का वितरण कराया था।
शैलेश तिवारी की रिपोर्ट.