चायनीज सेवाशर्त मंजूर नहीं।सरकार नियोजित शिक्षक का नाम चुनावी शिक्षक रखे।आर-पार के मूड में नियोजित शिक्षक-शिवेन्द्र कुमार पाठक.सरकार द्वारा नियोजित शिक्षकों के सेवाशर्त एवम वेतन बढ़ोत्तरी दिया जाना चुनावी स्टंट है।इसका गंभीर परिणाम इसी विधानसभा चुनाव में इस अहंकारी सरकार को भुगतना पड़ेगा।ये बातें शिक्षक न्याय मोर्चा के प्रदेश संयोजक शिवेन्द्र कुमार पाठक ने कही।उन्होंने कहा कि जब जब चुनाव आता है तब तब नियोजित शिक्षकों को लॉलीपॉप थमाकर शिक्षक एवम शिक्षक के परिवार का वोट ले लेती है।इसबार ठीक इसके विपरीत परिणाम होगा।सरकार समस्या का समाधान करना ही नहीं चाहती।ताकि राजनीति किया जा सके।इसके लिए नियोजित शिक्षक का नाम बदलकर चुनावी शिक्षक करे।चूंकि 2006 में नियुक्ति,2005 के चुनाव बाद।दो हजार रुपए की वृद्धि ,2010 विधानसभा चुनाव से पहले।तीन हजार रुपए की वृद्धि ,नियोजित शिक्षकों द्वारा तत्कालीन शिक्षा मंत्री को हराने एवम लोकसभा चुनाव से पहले।चायनीज वेतनमान 2015 विधानसभा चुनाव के पहले।चायनीज सेवाशर्त एवम वेतन वृद्धि 2020 विधानसभा चुनाव से पहले।
इसबार इसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा, नियोजित शिक्षकों द्वारा करारा जवाब दिया जाएगा।
सेवाशर्त के नाम पर शिक्षकों को महिला, पुरुष में बांटने का प्रयास भी है।श्री पाठक ने सरकार से पूछा निम्न मांगो से सरकार के खजाने पर क्या बोझ पड़ती?
(1)स्थानांतरण-दिव्यांग एवम महिला शिक्षकों का स्थानान्तरण हो सकता है तो पुरुष शिक्षकों का स्थानांतरण में क्या कठिनाई है?
(2)वेतनमान-सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतनमान देने में क्या दिक्कत है?
(3)पदोन्नति-14 वर्ष बीत जाने के बावजूद अभी तक पदोन्नति का कोई निर्धारण नहीं हुआ भविष्य के लिए लटका के रखने का क्या औचित्य है?
(4)अर्जित अवकाश-120 दिन क्यों 300 दिन क्यों नही?
(5)चिकित्सा अवकाश-120 दिन क्यों 180 दिन क्यों नहीं?
(6)E P F-न्यूनतम वेतन 15000 मानकर क्यों मूलवेतन एवम मंहगाई भत्ता पर क्यों नहीं?
(7)ग्रेच्यूटी एवम ग्रूप विमा क्यों नहीं?
(8)शिशु देखभाल अवकाश क्यो नहीं?
(9)परिवहन भत्ता क्यों नहीं?
(10)उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को मध्य विद्यालय से अलग करने पर खजाने क्या बोझ पड़ेगा?
विगत 13-14 वर्षों से लगातार शिक्षक सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं । सरकार शिक्षा सुधार के नाम पर पैसों का बंदरबांट करती है लेकिन शिक्षकों के समस्याओं समाधान नहीं करती। तमाम विषमताओं के बाबजूद नियोजित शिक्षक कार्य करते हैं।अब नियोजित शिक्षक आजिज आ चुके हैं।इसका गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे।
संजीव सिंह की रिपोर्ट.