आज टी.पी.एस. काॅलेज, पटना एवं पृथ्वी चंद विज्ञान महाविद्यालय, छपरा, सारण के संयुक्त तत्वाधान में ‘‘यक्ष्माः एक रोग जो अपने होस्ट के साथ विकसित’’ विषय पर अन्तराष्ट्रीय बेबीनार का आयोजन किया गया। इस आयोजन के संयोजक डाॅ. विनय भूषण कुमार ने विषय प्रवर्तन करते हुए बेबीनार के मुख्य पहलुओं की चर्चा की चर्चा करते हुए कहा कि दोनों विश्वविद्यालयों के बीच अकादमिक आदान-प्रदान का एक सार्थक प्रयास है। इस बेबीनार की मुख्यवक्ता वाशिंगटन विश्वविद्यालय, संत लुइस, (यू.एस.ए.) में पोस्ट डाकर््टोरल रिसर्च साईंटिस्ट डॉ अनन्या गुप्ता ने यक्ष्मा (टी.बी.) बिमारी की विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि सन् 2018 ई. में इसे सबसे बड़ा संक्रमण फैलाने वाला रोग घोषित किया गया था। करीब डेढ़ मिलियन लोग प्रतिवर्ष इस बीमारी से मरते हैं। इन्होंने इस बीमारी की जाॅच की विधियों पर चर्चा करते हुए बताया कि पी.सी.आर एवं पी.पी.की. स्कीन टेस्ट सबसे कारगर है। केवल 10-15 प्रतिशत लोगों में ही सक्रिय जीवाणु पाये जाते हैं। इस बीमारी के इलाज में आने वाली दवाइयाॅ जैसे- रिफमपीसिन आइसोनियाजाइड, पाइराजिनामाइक एवं इथामबुटाॅल की कार्यविधियों की भी चर्चा की। टी.बी से बचाव के लिए प्रयोग में आने वाले वैक्सीन की भी चर्चा की। इन्होने बताया कि इन्ट्रामस्कुलर, इन्ट्रामेनस एवं नेसजल के द्वारा दिया जाने वाले वैक्सीन विकसित किया जा रहा है। जो कि बी.सी.जी. वैक्सीन से कई गुुणा कारगर होगा। इस बेबीनार के अध्यक्ष सह संरक्षक प्रधानाचार्य प्रो. उपेन्द्र प्रसाद सिंह ने सम्बोधित करते हुए कहा कि कोरोना काल में ज्ञानवर्धक का वेबिनार एक अच्छा माध्यम बन गया है। दर्शन परिषद, बिहार के महासचिव प्रो. श्यामल किशोर ने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान जब मानवीय मूल्यों से संपृक्त होता है तो वह मानव के कल्याण में सहायक होता है। डाॅ. अशोक कुमार राय ने भी सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. प्रदीप कुमार ने किया। काफी संख्या में शिक्षकों, शोधार्थी एवं छात्र छात्राओं ने वर्चूअज मोड हुई वेबिनार में हिस्सा लिया।