24 घंटे में कोरोना के 75 हज़ार से अधिक आये केस ने दुनिया को चौंका दिया है। पिछले दो दिनों में सर्वाधिक 1023 लोग भारत में इस रोग से मरे हैं। अब तक 60 हज़ार लोग इस संक्रमण की भेंट चढ़े हैं। बावजूद चैनेल पर यह खबर चर्चा का विषय नहीं है। एक-दो को छोड़कर बाकी सभी चैनेलों पर सुशांत सिंह राजपूत के निधन की मिस्ट्री की खबर छाई है। बुद्धिजीवियों में इसकी कुछ वजहें बताई जा रही हैं। एक तो यह कि बिहार में चुनाव है और बिहार और केंद्र की सरकार के इशारे पर कोरोना जैसी महामारी से आम जन का ध्यान हटाने की साजिश है। चुनाव में कोरोना से उपजी बेरोजगारी, नौकरियों का जाना, आर्थिक संकट और कोरोना से निबटने में सरकार का failure मुद्दा न बने। एक और वजह यह भी बताई जा रही है कि केंद्र सरकार इस मसले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के बेटे आदित्य ठाकरे को सीबीआई जांच के ज़रिए गिरफ्त में लेना चाहती है। उसके बदले में उद्धव ठाकरे से सौदा कर शरद पवार की पार्टी को बाहर कर खुद सरकार में शामिल होना चाहती है। तीसरी वजह यह बताई जा रही है कि इस बार के चुनाव में आमसभा आयोजित होना मुश्किल है, इसलिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू नही चल पाएगा। और, वर्चुअल मीटिंग से वो बात नहीं बन पाएगी। ऐसे में,किसी तरह बिहार चुनाव जीतने का हथकंडा मीडिया के ज़रिए सरकार अपना रही है। आखिर क्या कारण है कि सुशांत के कथित सुसाइड के बाद एक और टीवी सीरियल के एक्टर की खुदकुशी चैनेलों की सुर्खी क्यों नहीं बनी। ये सारे सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहे हैं।
सतीश मिश्रा.