जब शास्त्री जी ने कहा- मैं रेलवे में नौकरी करता हूं
महापुरुषों की महानता जिनसे सीख लेनी चाहिए आज के नेताओं को.
“कहाँ गए वो निःस्वार्थी, सच्चे ईमानदार लोग.
उन्होंने माँ को नहीं बताया था कि वो रेल मंत्री हैं।
कहा था, ”मैं रेलवे में नौकरी करता हूँ।”
वो एक बार मुगलसराय में आए थे जब उनकी माँ भी वहाँ पूछते- पूछते पहुँची कि मेरा बेटा भी आया है वो भी रेलवे में हैं।
लोगों ने पूछा क्या नाम है, तो उन्होंने जब नाम बताया तो सब चौंक गए. बोले, ”ये झूठ बोल रही है।”
पर वो बोली, ”नहीं वो आए हैं।”
लोगों ने उन्हें लाल बहादुर शास्त्री के सामने ले जाकर पूछा, ”क्या वही हैं ?”
तो माँ बोली, ”हाँ, वो मेरा बेटा है।”
लोग, मंत्री जी से दिखा कर बोले, ”वो आपकी माँ हैं।”
तो उन्होंने अपनी माँ को बुला कर पास बैठाया और कुछ देर बाद घर भेज दिया।
तो पत्रकारों ने पूछा, ”आपने, उनके सामने भाषण क्यों नहीं दिया।”
”मेरी माँ को नहीं पता कि मैं मंत्री हूँ। अगर उन्हें पता चल जाय तो लोगों की सिफारिश करने लगेगी और मैं मना भी नहीं कर पाऊँगा। …… ……. और उन्हें अहंकार भी हो जाएगा।”
जवाब सुन कर, सब सन्न रह गए।
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ईमानदारी का दम भरने वाले जनप्रतिनिधि इनसे कुछ क्यों नहीं सीखते….