ऐतिहासिक महापुरुष स्वर्गीय दरोगा प्रसाद राय की आज 98 वी जयंती, क्षेत्र के लोगों ने कहा ओ नेता नहीं बेटा थे. कर्मठ राजनेता के साथ एक बेहतरीन मानवता के प्रतिक थे. उनके मुख्यमंत्री रहते हुये भी सारण के लोगों के लिये ओ हमेशा बेटा बनकर ही रहें. पूर्व मंत्री चन्द्रिका राय ने कंट्री इनसाइड संवाददाता को बताया की गजब का नेतृत्व था, कभी उन्होंने जात की बात नहीं की, सर्व समाज को साथ लेकर चलते थे. पिता को याद कर पूर्व मंत्री गमगीन हो गये. सारण प्रमंडल संस्कृति और राजनीति का संगम स्थल रहा है एक और महान स्वतंत्रता सेनानी प्रख्यात कानून विद और भारत के प्रथम राष्ट्रपति का डॉ राजेंद्र प्रसाद की कर्मभूमि एवं जयप्रकाश नारायण जैसे क्रांतिकारी और विचार की जन्मभूमि होने का सौभाग्य प्राप्त है यह वही धरती है जहां राहुल जी जैसे महान पंडित की कर्मभूमि होने का गौरव प्राप्त है इसी विश्वविद्यालय से मनोहर प्रसाद ,शिवपूजन सहाय जैसे हिंदी के विद्वानों ने राजेंद्र कॉलेज में अध्ययन किया था ,जिसकी साहित्य के अवदानों से संपूर्ण भारत को रोशनी मिलती है यही भोजपुरी के नाटककार और कवि भिखारी ठाकुर के अवदान से पुरा भारत परिचित है, आप इस महान धरती पर भटके हुए युवकों की कुंठा और तनाव को दूर करने के लिए उसके नैतिक मूल्यों को जागृत करने के लिए एवं संचालित करने का आपने प्रयास किया तभी तो,बिहार के समाज मैं नैतिक मूल्य जीवित ह सारण की धरती पर एक से-एक महारथी ने जन्म लिया इसी धरती पर दिव्य पुरुष दरोगा प्रसाद राय एक भारतीय राजनेता के रूप में जाने जाते हैं दिव्य पुरुष की राजनीतिक विरासत उनके वारिस विद्वान एवं पुरुषार्थी पुत्र चंद्रिका प्रसाद राय ने अपने पिता की विरासत अपने हाथों में ले लिया हम लोगों को गर्व का अनुभव आज हो रहा है क्योंकि पिता की विरासत की झंडा उन्होंने फहराया लगभग 6 बार विधायक रहे एवं दो बार बिहार के मंत्री के पद पर आसीन हुए तभी से परसा की निरह जनता मंत्री के रूप में जाने जाने लगे कभी भी अपने पिता का झंडा झुकने नहीं दिया. उस दिव्य पुरुष को मैं बार-बार नमन करता हूं. परसा की धरती पर चंद्रिका राय जैसा पुरुषार्थी विद्वान पुत्र को जन्म दिया प्रभुनाथ महाविद्यालय परसा सारण दरोगा बाबू का सपना था जो आज प्राचार्य डॉ पुष्पराज गौतम के देखरेख में चल रहा है. इस महाविद्यालय की पहचान अनुशासन है दरोगा बाबू की महान शक्ति महाविद्यालय के चारों तरफ छाई हुई है.दरोगा बाबू ने अपना मूल मंत्र दिया गरीब मजदूर किसान को केंद्र बिंदु में रखते हुए सारण यानी श्रद्धा एवं ज्ञान और शक्ति का केंद्र जिसने अपनी सभी राजनीतिक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं से पूरे बिहार को आलोकित किया है उन्होंने अपनी सक्रियता एवं कर्मठता के बल पर अपना अलग पहचान बनाए रखने में सफल रहे हैं.
कौशलेन्द्र की ग्राउंड रिपोर्ट.