दिल्ली / कंगना रनौत के साथ विवादों में फंसी शिवसेना सरकार एक बार फिर सुर्खियों में है. क्या शिवसेना सरकार अपने को कंगना के माध्यम से मजबूत दिखाने का प्रयास तो नहीं, पत्रकारों से लड़ाई कही लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश तो नहीं. क्या मुंबई में लोकतंत्र का गला नहीं घोंटा जाता हैं, क्या आईपीएस विनय तिवारी को कोरोना के नाम पर हॉउस अरेस्ट करना क्या लोकतंत्र हैं. सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से जुड़ा एक कार्टून फॉरवर्ड करने पर नौसेना के पूर्व अधिकारी मदन शर्मा पर हमला करने के आरोप में पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया है. क्या ये लोकतंत्र हैं. इससे पहले समता नगर पुलिस ने शिवसेना के दो कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से एक शिवसेना का शाखा प्रमुख कमलेश कदम भी है.महाराष्ट्र में शुक्रवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर बने एक कार्टून को सोशल मीडिया पर शेयर करने से नाराज शिवसेना कार्यकर्ताओं ने 62 वर्षीय एक सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी मदन शर्मा की पिटाई कर दी थी. मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह घटना सुबह करीब 11.30 बजे उपनगर कांदिवली के लोखंडवाला कॉम्प्लेक्स इलाके में हुई. सेवानिवृत्त नौसेना अधिकारी मदन शर्मा ने एक व्हाट्सऐप ग्रुप में ठाकरे पर एक कार्टून भेजा था. कुछ शिवसेना कार्यकर्ता उनके घर गए और उनके साथ मारपीट की. शर्मा की आंख में चोट लग गई, जिसके बाद अस्पताल में उनका इलाज किया जा रहा है.नौसेना के पूर्व अधिकारी मदन शर्मा ने इस घटना की जानकारी देते हुए कहा कि 8 से 10 लोगों ने मुझ पर हमला कर दिया और मुझे पीटा. इससे पहले मुझे एक संदेश के लिए धमकी भरे फोन भी आए, जो मैंने सोशल मीडिया पर फॉरवर्ड किया था. मैंने पूरी जिंदगी देश के लिए काम किया है. इस तरह की सरकार का अस्तित्व नहीं होना चाहिए.बीजेपी ने शिवसेना को घटना के लिए ठहराया जिम्मेदार.नौसेना के पूर्व अधिकारी को इस तरह से पीटने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बीजेपी ने शिवसेना पर हमला बोला और इस पूरी घटना के लिए शिवसेना कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया है. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस पूरी घटना पर दुख जताते हुए कहा, सिर्फ एक वाट्सएप फॉरवर्ड करने के नाम पर इतनी बर्बरता. उद्धव ठाकरे जी इस गुंडाराज को रोकिए. हम मांग करते हैं कि अपराधियों और गुंडों को कड़ा दंड दिलाया जाए.लोकतंत्र की मर्यादा होती हैं. लोकतंत्र को बचाये उदव ठाकरे साहब.
कौशलेन्द्र पाण्डेय, संपादक