हिंदी दिवस 2020: तकनीक ने हिंदी को बना दिया और आसान, कुछ इस तरह से जिंदगी में हो गई है शामिल.हिंदी न सिर्फ हमारी राष्ट्रभाषा है बल्कि देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है. हालांकि आज भी लोग एबीसीडी तो फर्राटे से बोल लेते हैं, लेकिन क ख ग में जुबान अटक जाती है. पहले हिंदी किताब पढ़ने वालों को हिंदी मीडियम कहकर बुलाया जाता था, लेकिन तकनीक ने इस सोच को तोड़ने में अच्छी खासी मदद की है. आज की टेक्नोलॉजी ने हिंदी को हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने में मदद की है. हिंदी अब वैसी नहीं रही जैसी पहले थी. अब हिंदी की भाषा, परिभाषा और रूपरेखा में बदलाव आया है. आपको बता दें कि 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है और आज इस अवसर पर आइए आपको बताते हैं इसके नए रूप के बारे में.आजकल की ग्लैमराइज हिंदी ने हमारी जिंदगी में शामिल होकर इसे और अधिक आसान बना दिया है. गूगल पर हिंदी भाषा से जुड़ा कोई भी फैक्ट पढ़ा जा सकता है. क्या आपको पता है कि दुनिया के 30 से अधिक देशों में हिंदी पढ़ी और पढ़ाई जाती है. जी हां, ये सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में विख्यात है. हिंदी की इसी प्रसिद्धी को बढ़ाने के लिए यकीनन तकनीक ने लोगों का साथ दिया है.स्मार्टफोन की वजह से जीवन में आ गई हिंदी टाइपिंग.पहले इस्तेमाल होने वाली फीचर फोन्स की जगह अब स्मार्टफोन्स ने ले ली है और इससे हिंदी टाइपिंग बहुत ही आसान हो गई है. कितनी खूबसूरती से लोग अपने फोन के जरिए हिंदी के सही वाक्य बना लेते हैं. स्पीक एंड राइट तकनीक की वजह से हिंदी में लिखना और भी ज्यादा आसान हो गया है. आज के सभी स्मार्टफोन्स में हिंदी टाइपिंग टूल मौजूद होता है जिससे इसे लिखना आसान हो जाता है.हिंदी के लेख आसानी से हैं उपलब्ध.हिंदी लेखन में देश के महान कवियों और लेखकों ने साहित्य को समृद्ध बनाया है. मुंशी प्रेमचंद, भारतेन्दु हरिश्चंद, महावीर प्रसाद द्विवेदी, श्याम सुन्दर दास, रामधारी सिंह दिनकर जैसे लेखकों की रचनाएं अब सिर्फ किताबों में ही नहीं रही हैं. अब ये रचनाएं तकनीक के माध्यम से घर तक पहुंच गई हैं. ऑनलाइन इन्हें पढ़ना अब आसान हो गया है और यही कारण है कि कुछ हद तक नई पीढ़ी भी इनसे जुड़ पा रही है. अब हिंदी सीखने की सीमा सिर्फ स्कूलों तक ही सीमित नहीं रह गई है बल्कि ये घर तक पहुंच गई हैं. आज के व्यस्त समय में ऑनलाइन हिंदी किताबें पढ़ना टेक्नोलॉजी के चलते आसान हो गया है.ऑनलाइन पढ़ें हिंदी की किताबें और सुनें कहानियां.कहते हैं कि अगर कुछ सुना या देखा जाए तो वो ज्यादा लंबे समय तक याद रहता है. हो सकता है कि हिंदी पढ़ने या फिर इसे लेकर लेख लिखने का मन न हो, लेकिन अब हिंदी कहानियां ऑडिबल जैसे प्लेटफॉर्म पर सुनी जा सकती हैं. कई ऑडियो और वीडियो चैनल इस पर तेजी से काम कर रहे हैं. इस संबंध में हिंदी लेखकों का कहना है कि जो नए प्लेटफॉर्म आए हैं, वो चाहें सोशल मीडिया हो या सुनने के प्लेटफॉर्म जैसे ऑडिबल, अगर आपको लिपी पढ़नी नहीं आती लेकिन कहानियों से प्रेम है तो भी आप हिंदी साहित्य से जुड़ेंगे.हिंदी की कहानियां लोग इसलिए सुनते हैं क्योंकि अपनी भाषा को और बेहतर तरीके से जानने की, सुनने की, समझने की एक तरह की उत्सुक्ता जरूर होती है. अब पॉडकास्ट में भी हिंदी का इस्तेमाल किया जाने लगा है. तकनीक पाठकों और साहित्यकारों को पास ले आई है. तकनीक के मिश्रण से साहित्य को और भी ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सकेगा. जहां एक ओर लोग इसे भाषा का विकास मान रहे हैं वहीं ये भी बात समझने वाली है कि ये भाषा की सहजता को और भी ज्यादा बढ़ा रहा है. हिंदी भाषा यकीनन सबसे अनोखी है जिसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना बहुत ही आसान है. आने वाले दिनों में ज्यादा से ज्यादा लोग तकनीक के माध्यम से हिंदी से और भी सरल ढंग से जुड़ सकेंगे.
कौशलेन्द्र पाण्डेय की रिपोर्ट.