पटना. बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला भी अधर में लटका हुआ है, लेकिन कांग्रेस ने आंतरिक तौर पर अपनी तैयारी जोर-शोर से कर रही है. पार्टी आलाकमान द्वारा हर जिले के लिए सभी प्रभारियों से नामों की सूची मांगी गई थी और नामों की सूची बिहार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल तक पहुंच चुकी है. हर विधानसभा क्षेत्र से 3 से 5 नामों की सूची सौंपी गई है इस बार कांग्रेस उन जगहों से भी चुनाव लड़ने की मांग रखी है जहां स्थानीय नेता जीत का दावा करते नजर आ रहे हैं.दरअसल 2015 में विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत मिली थी ऐसे में उन सीटों पर पार्टी का फिर से उतरना तो पक्का ही है. इसके अलावा संभावना वाली उन सीटों पर भी पार्टी लड़ने की तैयारी में है जहां स्थानीय नेता वहां जीतने का दावा कर रहे हैं. दरअसल कांग्रेस के बड़े नेता भी मानते हैं कि राष्ट्रीय दल होने के नाते पार्टी को ज्यादा सीटें मिलनी चाहिए. इस प्रकार के दावे करने वाले नेता भी सीटों को लेकर यह दावे करते नजर आते हैं कि कांग्रेस 80 से अधिक सीट पर चुनाव लड़ सकती है. हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व किसी अंतिम निर्णय पर पहुंचने के पहले सीट बंटवारे का इंतजार कर लेना चाहता है.पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने पटना शहर की दो सीटों कुम्हरार और बांकीपुर के अलावा ग्रामीण में भी चुनाव लड़ने का फैसला किया है. साथ ही भागलपुर में पिछले चुनाव जीती गई सीट भागलपुर और कहलगांव के अलावा सुल्तानगंज और नाथनगर पर भी दावा करने का पार्टी मन बना चुकी है. पार्टी का मानना है कि दोनों नए क्षेत्र अल्पसंख्यक आबादी वाले क्षेत्र हैं, आसानी से जीत हासिल की जा सकती है. साथ ही कटिहार में एक की बजाय दो सीट, रोहतास में चेनारी के अलावा काराकाट, बिहारशरीफ और मुजफ्फरपुर के साथ ही अरवल की दो सीटों पर भी पार्टी दावा करने का प्रस्ताव तैयार कर चुकी है.वैसे इस मामले पर पहले पार्टी के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल द्वारा दोनों सचिव अजय कपूर और वीरेंद्र सिंह राठौर के स्तर पर फैसला के बाद स्क्रीनिंग कमिटी के माध्यम से आलाकमान को सौंपा जायेगा. पार्टी नेता हरखू मानते हैं कि फिलहाल शक्ति सिंह गोहिल के पास नामो की सूची पहुंच चुकी हैऐसे में कांग्रेसी नेताओं में इन दिनों आत्मविश्वास भी कुछ ज्यादा ही नजर आ रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर कहते हैं कि दरअसल जिस तरीके से पार्टी ने हाल में वर्चुअल रैली आयोजित की थी वैसे मैं विधानसभा क्षेत्रों से नेताओं को मिले जनता के रिस्पाॉंस में प्रदेश कांग्रेस को एक नई ताकत दी है.बहरहाल कांग्रेस के अंदर पर चल रही तैयारी की सही तस्वीर महागठबंधन में सीट शेयरिंग के बाद ही उभर कर सामने आएगी. लेकिन यह भी सच है कि कांग्रेस अपने दमखम से ज्यादा विरोधियों की नाकामी के बल पर अपने जीत सुनिश्चित करने में लगी है. लिहाजा कांग्रेसी नेता उत्साह से लबरेज होकर लंबे-चौड़े दावे करने में भी पीछे नहीं हट रहे हैं.
कौशलेन्द्र पाण्डेय की रिपोर्ट.