दिल्ली. कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की सिफारिशों को मानते हुए मोदी सरकार ने रबी की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि करने का फैसला कर लिया है. बता दें कि आज सुबह ही प्रधानमंत्री ने ये साफ़ कर दिया था कि MSP पहले की ही तरह चलने वाली है. किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर चल रही मोदी सरकार ने कृषक उत्पादों की बिक्री के लिए राज्यों के कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) कानून के तहत संचालित मंडियों के अलावा एक वैकल्पिक चैनल मुहैया करने के लिए नया कानून बनाया है.गेहूं का एमएसपी 50 रुपये बढ़ाकर 1,975 रुपये किया.सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 50 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1,975 रुपये कर दिया है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में इस पर फैसला लिया गया है. एमएसपी कृषि उत्पाद बाजार समिति की व्यवस्था बनी रहेगी और सरकारी खरीद होती रहेगी. साथ ही किसान जहां चाहें अपने उत्पाद बेच सकेंगे.नए कानून में एमएसपी को लेकर विरोध कर रहे किसानकृषि मंत्री ने यह घोषणा ऐसे समय की है, जब संसद में पारित कृषि संबंधी दो विधेयकों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और देश के कुछ अन्य स्थानों पर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. तोमर ने कहा कि सीसीईए ने छह रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि को मंजूरी दी है. नये कानून में गेहूं, चावल या अन्य मोटा अनाज, दालें, तिलहन, खाद्य तेल, शाक-सब्जी, फल, मेवा, मसाले, गन्ना और कुक्कुट, सूअर, बकरी, मछली और डेरी उत्पाद सहित ऐसे खाद्य पदार्थ, जिनका नैसर्गिक या प्रसंस्कृत रूप में मानव उपभोग करता है, उनको कृषक उत्पाद कहा गया है.समर्थन मूल्य क्यों?केंद्र सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग की सिफारिश पर कुछ फसलों के बुवाई सत्र से पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है. इससे किसानों को यह सुनिश्चित किया जाता है कि बाजार में उनकी फसल की कीमतें गिरने के बावजूद सरकार उन्हें तय मूल्य देगी. इसके जरिए सरकार उनका नुकसान कम करने की कोशिश करती है.क्यों जरूरी है MSP? सभी सरकारें किसानों को इसका लाभ नहीं देतीं. इस वक्त बिहार और मध्य प्रदेश में सबसे बुरा हाल है, जहां किसानों को एमएसपी नहीं मिल पा रहा है. वैसे भी शांता कुमार समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि महज 6 फीसदी किसानों को ही एमएसपी का लाभ मिलता है. यानी 94 फीसदी किसान मार्केट पर डिपेंड हैं.एमएसपी तय करने का आधारकृषि लागत और मूल्य आयोग न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश करता है. वह कुछ बातों को ध्यान में रखकर दाम तय किया जाता है. उत्पाद की लागत क्या है. फसल में लगने वाली चीजों के दाम में कितना बदलाव आया है.
धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट.