दिल्ली. नए श्रम विधेयक को बुधवार को राज्यसभा में पारित कर दिया गया. नए श्रम कानून से देश के संगठित व असंगठित दोनों ही प्रकार के श्रमिकों को कई प्रकार की नई सुविधाएं मिलेंगी. सभी श्रमिकों को नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य होगा. उनके वेतन का डिजिटल भुगतान करना होगा. साल में एक बार सभी श्रमिकों का हेल्थ चेकअप भी अनिवार्य किया गया है. वहीं, उद्यमियों के कारोबार को आसान बनाने के लिए कई प्रावधान लाए गए हैं.श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने बताया कि वर्तमान कानून में दुर्घटना होने की स्थिति में जुर्माने की राशि पूरी तरह से सरकार के खाते में जाती थी, लेकिन नए कानून में जुर्माने की राशि का 50 प्रतिशत पीड़ित को मिलेगा.गंगवार ने कहा कि 73 साल के इतिहास में पहली बार इस प्रकार से श्रम कानून में बदलाव किए जा रहे हैं, जो नियोक्ता और श्रमिक दोनों के लिए फायदेमंद साबित होंगे. मजदूरी संहिता पहले ही अधिसूचित हो चुकी है. इन चार संहिताओं में पुराने 29 कानून को एकीकृत किया गया है.लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में पास हुए तीन श्रम विधेयक 1, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ @वर्किंग कोड. 2, इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड3, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी.निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा था कि सरकार प्रवासी मजदूरों को लेकर काफी संवेदनशील है. अब प्रवासी मजदूरों का डेटा बैंक तैयार करने का प्रावधान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था की जा रही है कि प्रवासी मजदूरों को उनके मूल निवास स्थान पर जाने के लिये नियोक्ता द्वारा साल में एक बार यात्रा भत्ता दिया जाए.(1) इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल- 2020, बिना मंजूरी 300 से कम कर्मचारी वाली कंपनियों कर सकेंगे छंटनी- अब जिन कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 300 से कम है, वे सरकार से मंजूरी लिए बिना ही कर्मचारियों की छंटनी कर सकेंगी. अब तक ये प्रावधान सिर्फ उन्हीं कंपनियों के लिए था, जिसमें 100 से कम कर्मचारी हों. अब नए बिल में इस सीमा को बढ़ाया गया है.छंटनी या शटडाउन की इजाज़त उन्हीं ऑर्गनाइज़ेशन को दी जाएगी, जिनके कर्मचारियों की संख्या पिछले 12 महीने में हर रोज़ औसतन 300 से कम ही रही हो. सरकार अधिसूचना जारी कर इस न्यूनतम संख्या को बढ़ा भी सकती है. इसके अलावा ये बिल कहता है कि किसी भी संगठन में काम करने वाला कोई भी कामगार बिना 60 दिन पहले नोटिस दिए हड़ताल पर नहीं जा सकता. फिलहाल ये अवधि छह हफ्ते की है.(2) ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल- 2020.ये बिल कंपनियों को छूट देगा कि वे अधिकतर लोगों को कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर नौकरी दे सकें. साथ ही कॉन्ट्रैक्ट को कितनी भी बार और कितने भी समय के लिए बढ़ाया जा सकेगा. इसके लिए कोई सीमा तय नहीं की गई है. वो प्रावधान भी अब हटा दिया गया है, जिसके तहत किसी भी मौजूदा कर्मचारी को कॉन्ट्रैक्ट वर्कर में तब्दील करने पर रोक थी.महिलाओं के लिए वर्किंग आवर (काम के घंटे) सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे के बीच ही रहेगा. शाम 7 बजे शाम के बाद अगर काम कराया जा रहा है, तो सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी. कोई भी कर्मचारी एक हफ्ते में छह दिन से ज्यादा काम नहीं कर सकता. ओवरटाइम कराने पर उस दिन का दोगुना पैसा. बिना अपॉइंटमेंट लेटर के किसी की भर्ती नहीं.3 सोशल सिक्योरिटी बिल- 2020, अब एक साल में मिल सकेगी ग्रैच्युटी – सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 (Social Security Code 2020) के नए प्रावधानों में बताया गया है कि जिन लोगों को फिक्सड टर्म बेसिस पर नौकरी मिलेगी. उन्हें उतने दिन के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का भी हक होगा. इसके लिए पांच साल पूरे की जरुरत नहीं है. अगर आसान शब्दों में कहें तो कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर काम करने वालों को उनके वेतन के साथ-साथ अब ग्रेच्युटी का फायदा भी मिलेगा. वो कॉन्ट्रैक्ट कितने दिन का भी हो.अगर कर्मचारी नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है तो ग्रेच्युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर उसे दिया जाएगा. ग्रेच्युटी का छोटा हिस्सा कर्मचारी की सैलरी से कटता है, लेकिन बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है. मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक अगर कोई शख्स एक कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है तो वह ग्रेच्युटी का हकदार होता है. पिछले कुछ साल से वर्किंग यूनियंस की तरफ से लगातार ये मांग उठ रही थी कि नौकरी करने के नए तौर-तरीकों में पांच साल का वक्त बहुत ज़्यादा है. इसे एक साल या तीन साल किया जाए. इसी के बाद ये संशोधन किया जा रहा है.क्या होती है ग्रेच्युटी एक ही कंपनी में लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों को सैलरी, पेंशन और प्रोविडेंट फंड के अलावा ग्रेच्युटी भी दी जाती है. ग्रेच्युटी किसी कर्मचारी को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड होतिा है.पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972-पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत इसका लाभ उस संस्थान के हर कर्मचारी को मिलता है जहां 10 से ज्यादा एंप्लॉई काम करते हैं. अगर कर्मचारी नौकरी बदलता है, रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है लेकिन वह ग्रेच्युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्युटी का लाभ मिलता है.
धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट.