बिहार के पुलिस महानिदेशक रहे गुप्तेश्वर पांडेय ने अहम फैसला ले लिया है। राजनीति में आने की 100 फीसदी संभावना. जल्द होगा राजनीतिक पार्टी का ऐलान. जल्द देंगे विरोधियों को जवाब.दरअसल, सियासी पिच पर किस्मत आजमाने के लिए उन्होंने वीआरएस ले लिया है और अब वह आपको किसी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ते नज़र आएंगे… हालांकि कौन सी पार्टी व सीट से व चुनाव लड़ेंगे, इसकी तस्वीर अब तक साफ नहीं हो पाई है।बता दें कि बिहार के राजनीतिक इतिहास में गुप्तेश्वर पांडेय पहले अफसर नहीं है जिन्होंने चुनावी मैदान में उतरने का फैसला ले लिया है।इधर, बिहार विधानसभा चुनाव की भले ही औपचारिक घोषणा ना हुई हो, लेकिन राजनीतिक पार्टियां सियासी समीकरण बनाने में ज़ोरों-शोरो से जुटी हुई हैं। वहीं, ऐसे में बिहार के पुलिस महानिदेशक रहे गुप्तेश्वर पांडेय ने सियासी पिच पर अपनी किस्मत आजमाने के लिए वीआरएस तक ले लिया है।दूसरी ओर, बिहार के दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी भी अपने पद से इस्तीफा देकर सियासत में अपना भाग्य आजमाने की तैयारी में लगे हुए हैं… जिसमें कि बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ही नहीं बल्कि सुनील कुमार का नाम भी शामिल है।गौरतलब है कि पूर्व आईपीएस सुनील कुमार ने पुलिस भवन निर्माण निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद 29 अगस्त को जेडीयू का दामन थाम लिया है। और तो और सुनील कुमार के भाई अनिल कुमार कांग्रेस के विधायक हैं। कयास तो यह भी लगाया जा रहा है कि गोपलगंज से सुनील कुमार चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।बताते चलें कि बिहार की राजनीति में यूं अफसरों का आना कोई नई बात नहीं है क्योंकि इससे पहले भी प्रदेश के कई आला अफसरों ने राजनीतिक दलों का दामन थामा है। निखिल कुमार, मीरा कुमार, यशवंत सिन्हा, रामचंद्र प्रसाद सिंह, बलबीर चंद्र, हीरालाल, केपी रमैया, अनूप श्रीवास्तव, आरके सिंह, एनके सिंह, अशोक कुमार गुप्ता और आशीष रंजन सिन्हा चुनावी पिच पर उतरकर किस्मत आजमा चुके हैं। आरके सिंह तो मौजूदा समय में मोदी सरकार में मंत्री हैं और दूसरी बार वो बीजेपी से सांसद चुने गए हैं।
प्रिया सिन्हा की रिपोर्ट.