केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बीते मानसून सत्र में पास कराए गए तीन कृषि बिलों के विरोध में आज किसान आंदोलन कर रहे हैं. पंजाब और हरियाणा में पहले ही रेल रोको आंदोलन चल रहा है.कृषि बिलों के खिलाफ सड़कों पर उतरे 5 राज्यों के किसान, केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि बिलों को लेकर देश के कई राजनीतिक दल और किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई में कई संगठनों ने भारत बंद बुलाया है. इसमें दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान के किसान हिस्सा ले रहे हैं. इस बीच पंजाब में किसान 24 अक्टूबर से 26 अक्टूबर तक रेल रोको आंदोलन भी चलाएंगे. इस भारत बंद को कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने समर्थन भी दिया है.भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) महासचिव सुखबीर सिंह ने हड़ताल के समर्थन में वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों, दुकानदारों से अपनी दुकानों बंद रखने की अपील की है. पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी लोगों से किसानों का समर्थन करने और हड़ताल को सफल बनाने का अनुरोध किया है. मुख्य विपक्षी आम आदमी पार्टी पहले ही अपना समर्थन दे चुकी है जबकि शिरोमणि अकाली दल ने सड़क बंद की घोषणा की. विधेयकों के खिलाफ किसानों ने पंजाब में कई स्थानों पर गुरुवार को तीन दिवसीय रेल रोको प्रदर्शन शुरू किया और पटरियों पर धरना दिया. किसान संगठनों ने एक अक्टूबर से अनिश्चितकालीन रेल रोको प्रदर्शन भी शुरू करने का फैसला किया है.प्रदर्शनकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि केंद्र के कृषि सुधारों से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी. कृषि क्षेत्र बड़े पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा. किसानों ने कहा है कि तीनों विधेयक वापस लिए जाने तक वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे.किसान बिल के खिलाफ आज दिल्ली में किसानों का प्रदर्शन होगा. उम्मीद है कि इस प्रदर्शन को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का भी समर्थन मिलेगा. दोपहर 12 बजे , जंतर मंतर पर किसान बिलों के खिलाफ कांग्रेस का लगातार प्रदर्शन भी होगा. यूथ कांग्रेस ने गुरुवार शाम को दिल्ली में मशाल जुलूस निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया.पंजाब के अमृतसर में किसान मजदूर संघर्ष समिति का रेल रोको अभियान जारी है. किसान पूरी रात रेलवे ट्रैक पर ही डटे रहे और कृषि बिल का विरोध करते रहे. किसानों का कहना है कि हम 26 सितंबर तक रेल रोको अभियान चलाएंगे, उसके बाद भी अगर सरकार बिल वापस नहीं लेती है तो हम आगे की रणनीति बनाएंगे.रेलवे ने आंदोलन के मद्देनजर 26 ट्रेनों की आवाजाही 26 सितंबर तक रद्द कर दी है. जिन ट्रेनों को निलंबित कर दिया गया है, वे हैं- गोल्डेन टेम्पल मेल (अमृतसर-मुंबई मध्य), जन शताब्दी एक्सप्रेस (हरिद्वार-अमृतसर), नई दिल्ली-जम्मू तवी, कर्मभूमि (अमृतसर-न्यू जलपाइगुड़ी), सचखंड एक्सप्रेस (नांदेड़-अमृतसर) और शहीद एक्सप्रेस (अमृतसर-जयनगर).पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने प्रदर्शन के दौरान किसानों से कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने और कोरोना वायरस से जुड़े सभी नियमों का पालन करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विधेयकों के खिलाफ लड़ाई में पूरी तरह किसानों के साथ है और धारा 144 के उल्लंघन के लिए प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी.हरियाणा भाकियू के प्रमुख गुरनाम सिंह ने कहा कि उनके संगठन के अलावा कुछ अन्य किसान संगठनों ने भी राष्ट्रव्यापी हड़ताल को अपना समर्थन दिया है. सिंह ने कहा, हमने अपील की है कि राज्य के राजमार्गों पर धरना होना चाहिए और अन्य सड़कों पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध होना चाहिए.कृषि बिल के विरोध में बुलाए गए भारत बंद का सबसे खास असर हाजीपुर में देखने को मिला. गांधी सेतु के पास NH 19 पर जाम लगाया गया है. सुबह से ही पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी के समर्थक सड़क पर डटे हैं. बंद समर्थकों ने NH 19 को बंद करा दिया है. सड़कों पर टायर जला कर नारेबाजी की जा रही है.किसानों की असली चिंता MSP को लेकर है. कृषि मंडियों को लेकर है. उन्हें डर है कि नए बिल के प्रावधानों की वजह से कृषि क्षेत्र पूंजीपतियों और कॉर्पोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा. कुछ संगठन और सियासी दल चाहते हैं कि MSP को बिल का हिस्सा बनाया जाए ताकि अनाज की खरीदारी न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे ना हो. जबकि सरकार साफ-साफ कह चुकी है कि MSP और मंडी व्यवस्था पहले की तरह ही जारी रहेगी.वेस्ट यूपी में किसान संगठनों ने शुक्रवार को यातायात के सभी रास्ते बंद करने की चेतावनी दी है. साथ ही दिल्ली को सब्जी-दूध आपूर्ति रोकने का भी दावा किया है. भारतीय किसान यूनियन के मुताबिक, ऐम्बुलेंस और आवश्यक वस्तुओं को रोका नहीं जाएगा. यूनियन नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘हम चक्का जाम करेंगे. किसान झुकेगा नहीं. पूरा वेस्ट यूपी जाम रहेगा.’
धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट.