सेना की नौकरी छोड़कर सियासत में आए थे अटल के ‘संकटमोचक’ जसवंत सिंह. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का रविवार को निधन हो गया. उनके रूप में बीजेपी ने एक और बड़ा नेता खो दिया है. जसवंत सिंह बेहद सज्जन राजनेता माने जाते रहे हैं. साथ ही वैश्विक पटल पर वाजपेयी सरकार के लिए एक संकटमोचक की भूमिका भी निभाते थे. वह अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी माने जाते थे और उनकी सरकार में रक्षा, वित्त तथा विदेश जैसे अहम मंत्रालय संभाल चुके हैं.पूर्व सैन्य अधिकारी जसवंत सिंह अगस्त 2014 में अपने घर में गिरने के बाद से बीमार थे. उन्हें दिल्ली स्थित सेना के रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद से उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इस साल जून में उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य नेताओं ने शोक जताया है. आइए जानते हैं जसवंत सिंह के सफर के बारे में…पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का रविवार को 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. उनका जन्म 3 जनवरी, 1938 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के गांव जसोल में हुआ था.जसवंत सिंह ने अजमेर के मायो कॉलेज से बीए और बीएससी की पढ़ाई की.जसवंत सिंह ने बाद में भारतीय सेना में एक कैवलरी अफसर की नौकरी भी की. यह उनकी बचपन की महत्वाकांक्षा थी. जसवंत सिंह ने बाद में नौकरी छोड़कर 1970-80 शुरुआती दौर में राजनीति ज्वाइन की.राजनीतिक जीवन में जसवंत सिंह 9 बार संसद सदस्य रहे.1998-99 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जब सत्ता में आई तो वह एक महत्वपूर्ण चुनाव हार गए थे. उन्हें उस साल लोकसभा चुनाव में शिकस्त मिली थी.प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उनकी निकटता के कारण उन्हें 1998 के बीच में राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया गया था.जसवंत सिंह योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे हैं.इस दौरान जसवंत सिंह के पास बाहरी मामलों, सर्फेस ट्रांसपोर्ट जैसे कई हाई-प्रोफाइल पोर्टफोलियो थे.जसवंत सिंह ने हमेशा वाजपेयी सरकारी के लिए विश्व स्तर पर संकटमोचक के रूप में काम किया.जसवंत सिंह को घोड़ों से बेहद लगाव था. वह अपने खाली समय में घुड़सवारी करते थे. किताबें पढ़ते थे. वह गोल्फ और शतरंज भी खेलते थे.
धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट.