बिहार चुनाव के तारीखों का ऐलान हो चुका है और लेकिन एनडीए में घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा अब तक फाइनल नहीं हुआ है. लोक जनशक्ति पार्टी सीट बंटवारे को लेकर लगातार दबाव बना रही है, लेकिन उसे कामयाबी मिलती नहीं दिखी तो उसने एनडीए से अलग होने का फैसला ले लिया. अब पार्टी ने रविवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में एनडीए के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है. चुनाव से पहले एनडीए में फूट पड़ गई है.
लोक जनशक्ति पार्टी ने रविवार को फैसला लिया है कि पार्टी एनडीए गठबंधन की ओर से नीतीश कुमार की अगुवाई में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी. पार्टी ‘बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट’ नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी. हालांकि पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरी तरह से समर्थन किया है.
इससे पहले सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि बिहार विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला ले सकती है. विधानसभा चुनाव को लेकर एलजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई जिसमें फैसला लेना था कि एलजेपी एनडीए के घटक दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी या फिर इस चुनाव में अकेले चुनाव मैदान में उतरा जाए. पार्टी ने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया.
सीट बंटवारे को लेकर एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने पिछले महीने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से पांच बार मुलाकात कर चुके हैं. जबकि एक बार वह गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले. एलजेपी के सूत्रों की मानें तो पार्टी को केवल 15 से 20 सीटों का ऑफर मिला है. लेकिन LJP ने 42 सीटों की मांग रखी है. जेडीयू नेता पहले ही कह चुके है कि उसका एलजेपी के साथ गठबंधन नहीं है. बीजेपी अपने हिस्से से एलजेपी के साथ सीटें साझा करे.
कौशलेन्द्र पाण्डेय की रिपोर्ट.