पटना, ६ अक्टूबर। शास्त्रीय नृत्य के महान आचार्य और बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पूर्व कलामंत्री डा नगेंद्र प्रसाद ‘मोहिनी’ का संपूर्ण व्यक्तित्व ही मोहक था। वे कला और संगीत के मूर्तमान रूप थे। वे एक ऐसे नृत्यर्षि थे, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय संगीत और नृत्य को अर्पित कर दिया था। उन्होंने नृत्य में हज़ारों शिष्य-शिष्याओं को निपुण बनाया और अनेकों पुस्तकें लिख कर इस सारस्वत आनंद-प्रद विधा को समृद्ध किया। सम्मेलन के कलामंत्री के रूप में दिए गए उनके अवदानों को भी विस्मृत नहीं किया जा सकता। सम्मेलन के कला विभाग को उन्नत करने तथा मंच के सौंदर्यीकरण में उन्होंने अपनी सांगितिक प्रतिभा ही नहीं अपना धन भी लगाया। कला को समर्पित ऐसे व्यक्तित्व विरल होते हैं। उनकी स्मृतियाँ आज भी हमें संवलित करती हैं।
यह बातें मंगलवार को, सांस्कृतिक संस्था ‘कलाकक्ष’ के सौजन्य से, सम्मेलन के कला विभाग द्वारा उनके छठे पुण्योत्सव पर, सम्मेलन के सभागार में आयोजित ‘रंग-तर्पण’ कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि उनकी स्मृति हृदय को भाव-विभोर करनेवाली देवमूर्ति के दर्शन की अनुभूति देती है। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद ने कहा कि मोहिनी जी एक ऐसे कलाकार थे, जिन्हें ईश्वर ने सबकुछ दिया। बिहार का नृत्य-संसार उन्हें कभी भुला नहीं सकता। नृत्य-गुरु के रूप में उनका अवदान अमूल्य है।
इस अवसर पर सम्मेलन की कलामंत्री डा पल्लवी विश्वास के निर्देशन में कलाकारों ने नृत्य-संगीत के अनेक मनोहारी प्रस्तुतियों से डा मोहिनी को श्रद्धा-तर्पण दिया। कार्यक्रम का आरंभ बाल-नृत्यांगना काशिका पाण्डेय द्वारा प्रस्तुत देवी-स्तुति नृत्य से हुआ। इसके पश्चात चर्चित नृत्य-कलाकार कुमार कृष्ण किशोर ने कथक-नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों के मन-प्राण को झंकृत किया, तो वंशी-वादन के लिए राष्ट्रीय ख्याति के कलाकार अंजनी गुप्त की बाँसुरी की तान ने दर्शकों को आनंद-लोक में पहुँचा दिया। कलाकक्ष के महासचिव पं अविनय काशीनाथ ने मोहिनी जी की स्मृति में, निर्गुण गायन की प्रस्तुति की। ओडिसी-नृत्य के सुख्यात कलाकार आद्या के मनोहर नृत्य की भी दर्शकों ने करतल ध्वनि से सराहना की। युवा नर्तक आयुर्मान यास्क, बाल कलाकार मृणाल सिंह, प्रत्यय पराशर ने भी अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन खींचा। यह उल्लेखनीय रहा कि डा मोहिनी के शिष्यों की तीन पीढ़ियों ने उन्हें रंग-तर्पण दिया। ‘कोरोना’ के कारण हुई बंदी के पश्चात सम्मेलन-सभागार में यह पहला सांस्कृतिक कार्यक्रम था।
इस अवसर पर, सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा कल्याणी कुसुम सिंह, योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, कुमार अनुपम, राज कुमार प्रेमी, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, मीना सिंह, आनंद किशोर मिश्र, वीरेंद्र भारद्वाज, रवींद्र सिंह, मनोज कुमार झा, प्रणब समाजदार , अमित कुमार सिंह समेत बड़ी संख्या में सुधी श्रोता उपस्थित थे।