पटना, १० अक्टूबर। अपने प्रखर बौद्धिक और आध्यात्मिक तेज से समग्र संसार को चकित कर देने वाले युवा भारतीय संन्यासी स्वामी विवेकानंद की वाग्मिता में ही नहीं चरित्र में भी प्रखर दीप्ति थी। उनका व्यक्तित्व अत्यंत महिमामय तथा प्रज्ज्वल था। वे १९वीं शताब्दी के एक ऐसे देदीप्यमान नक्षत्र थे, जिन्होंने अपनी वाणी से न केवल भारतीय मनीषा को महान स्वर दिया, अपितु अपने दिव्य आलोक से संसार को आध्यात्मिक प्रकाश भी प्रदान किया। वे सच्चे अर्थों में भारतीय वांगमय के सबसे प्रखर व्याख्याता थे।यह बातें, शनिवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, चर्चित लेखिका और प्राध्यापिका डा करुणा पीटर ‘कमल’ की पुस्तक ‘नरेंद्र कोहली के उपन्यास में स्वामी विवेकानंद का जीवन चरित्र’ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद के जीवन-चरित्र के प्रसंग में होने के कारण विशेष महत्व की है ही, इस लिए भी महत्वपूर्ण हो गई है कि इसकी लेखिका एक ईसाई धर्मावलंबी हैं तथा यह सुप्रसिद्ध कथाकर नरेंद्र कोहली की लेखनी के प्रसंग से है। लेखिका करुणा पीटर की भाषा साहित्यिक होने के साथ ही सुग्राह्य और प्रभावशाली भी है। इनमे चिंतन और विवेचन की वह गहराई भी है, जो दर्शन और अध्यात्म के विषय पर लेखनी उठाने के लिए नितांत आवश्यक होती है। इन्होंने कोहली जी की तीन ग्रंथों, ‘तोड़ो कारा तोड़ो’, ‘न भूतो न भविष्यति’ तथा ‘पूत अनोखो जायों’ को विवेचना के केंद्र में रखा है, और यह समझने तथा समझाने की चेष्टा की है कि कथाकर ‘कोहली’ ने अपने उपन्यासों में स्वामी जी के जीवन-चरित्र को रूपायित करने में कैसी मनोहर कला और काव्य-कल्पनाओं को जीवंत किया है ! लेखिका ने यह भी सिद्ध किया है कि उपन्यासकार की काव्य-कल्पनाएँ कथा में मधुर-रस का सृजन करती हैं, स्वामी जी के जीवन-चरित्र के सच और तथ्य को नहीं बदलती।पुस्तक पर अपना विचार रखते हुए, लोकप्रिय त्रैमासिक पत्रिका ‘साहित्य-यात्रा’ के संपादक डा कलानाथ मिश्र ने कहा कि विदुषी लेखिका ने लोकार्पित पुस्तक में उपन्यासकार नरेंद्र कोहली के व्यक्तित्व, उनकी औपन्यासिक-कृतियों एवं विवेकानंद के जीवन पर आधृत उपन्यासों पर मनोरम प्रकाश डाला है। इसमें विवेकांन्द के जीवन-चरित्र, उनकी व्यापक दृष्टि, स्वरूप और प्रभाव को अभिव्यक्त कारने में कोहली जी के कल्पना-बोध का सुंदर विवेचन किया है।सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा कल्याणी कुसुम सिंह, लेखिका के पति कमल कुमार, पूनम आनंद, कुमार अनुपम, राजकुमार प्रेमी,डा विनय कुमार विष्णुपुरी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए । इस अवसर पर डा संजय सिंह, डा पल्लवी विश्वास, चंदा मिश्र, विभा अजातशत्रु, डा अर्चना त्रिपाठी, कृष्ण रंजन सिंह , डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, प्रणब समाजदार नरेंद्र झा, अविनय काशीनाथ पाण्डेय समेत अनेक गण्यमान्य प्रबुद्धजन एवं साहित्यकार उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत सम्मेलन की साहित्यमंत्री डा भूपेन्द्र कलसी ने तथा मंच का संचालन योगेन्द्र प्रसाद मिश्र ने किया।