26 अक्टूबर से शुरू होने वाली भारत-अमेरिका 2 + 2 मंत्री स्तरीय बैठक से पहले अमेरिका ने 12 अक्टूबर को राजनयिक चैनलों के माध्यम से भारत को बताया कि, ईरान (Iran) पर संयुक्त राज्य के प्रतिबंध भारत के चाबहार पोर्ट के विकास को प्रभावित नहीं करेंगे. अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल आर पोम्पियो और रक्षा सचिव मार्क टी एस्पर 26-27 अक्टूबर को विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से दिल्ली में मुलाकात करने के लिए तैयार हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले की उनकी ये यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों को दिखाती है.इससे पहले अक्टूबर में, ट्रम्प प्रशासन ने महीनों में ईरान के खिलाफ इस तरह के सबसे व्यापक कदमों में से एक में 18 प्रमुख ईरानी बैंकों पर प्रतिबंध लगा दिए थे. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के इस कदम के बाद भारत ने चाबहार बंदरगाह के संबंध में अपनी चिंताओं के बारे में अमेरिका से चर्चा की थी. हालांकि, वाशिंगटन ने भारत की चिंताओं को स्वीकार किया और आश्वासन दिया कि यह बंदरगाह के विकास को प्रभावित नहीं करेगा.भारत को रखा प्रतिबंधों इससे अलग.अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने 8 अक्टूबर को ईरान में प्रमुख वित्तीय संस्थानों के साथ-साथ देश के लिए 45-दिवसीय विंड-डाउन अवधि के लिए प्रतिबंधों की घोषणा की थी, जिसमें सभी गैर-अमेरिकी व्यक्तियों को ईरानी वित्तीय क्षेत्र के साथ गतिविधियों और लेनदेन को बंद करने के निर्देश दिए गए थे. हालांकि, ईरान पर प्रतिबंध के बावजूद, अमेरिका ने भारत को इससे अलग रखा जो कि आगामी चुनावों के लिए ट्रंप प्रशासन के लिए अहम माना जा रहा है.चाबहार पोर्ट के माध्यम से भारत द्वारा की गई मानवीय सहायता देश की अफगानिस्तान रणनीति के प्रमुख तत्वों में से एक रही है. कोविड-19 महामारी के दौरान मानवीय सहायता के रूप में, भारत ने 28 सितंबर को अफगानिस्तान को 75,000 मीट्रिक टन गेहूं की खेप भेजी थी. खेप को गुजरात के कांडला बंदरगाह से भेजा गया जो कि 30 सितंबर को चाबहार पहुंचा था. गेहूं के साथ चाबहार बंदरगाह पर 26 अगस्त को भारत की ओर से अफगानिस्तान भेजी गई 1,890 टन चीनी भी पहुंची.मानवीय सहायता के लिए जरूरी बना चाबहार पोर्ट.चाबहार बंदरगाह, जो महामारी के दौरान अन्य देशों को मानवीय सहायता देने के लिए भारत के ‘कनेक्टिंग पॉइंट’ के रूप में उभरा है, कूटनीति में देश के जन-केंद्रित दृष्टिकोण का प्रतीक बना हुआ है. भारत ने ईरान को टिड्डी दल के संकट से निपटने में मदद करने के लिए 20,000 लीटर कीटनाशक भी भेजा था, जिसने भारत के साथ-साथ पाकिस्तान को भी प्रभावित किया था. कीटनाशक की खेप चाबहार बंदरगाह पहुंची और 14 जुलाई को ईरान को सौंप दी गई.अमेरिकी प्रशासन ने भारत को आश्वासन के तौर पर कहा है कि अमेरिका और गैर-अमेरिकी देशों को ईरान को कृषि वस्तुओं, खाद्य, चिकित्सा और चिकित्सा उपकरणों की बिक्री की अनुमति दी गई है. इसके अलावा, अमेरिकी विदेश विभाग और अमेरिकी कानून में अपवादों द्वारा दी गई छूट, जो अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास की अनुमति देते हैं, कथित तौर पर मान्य हैं.
कौशलेन्द्र पाण्डेय की रिपोर्ट.