दिल्ली. बिहार में खाता खोलने के बाद अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन ने बंगाल पर अपनी निगाहें टिका ली हैं. पार्टी ने बंगाल में अपनी ज़मीन तलाशने का काम भी शुरू कर दिया है. पार्टी के नेता बंगाल की उन सीटों को खंगाल रहे हैं, जहां पर उनकी जीत हो सकती है. पश्चिम बंगाल के 23 में से 22 जिलों में AIMIM ने अपनी पैठ बना ली है और वहां पर तेज़ी से भावी प्रत्याशियों का चयन भी शुरू किया जा रहा है.AIMIM की तरफ़ से भले ही ये तय न हो सका हो कि राज्य की कितनी सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा लेकिन ये तो तय है कि आने वाले चुनाव में अल्पसंख्यक वोटों के पतवार के सहारे अपनी नैया पार करने वाली ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को इससे ख़ासा नुकसान होने वाला है. राज्य के लगभग 30 प्रतिशत मुसलमान वोटरों में लगभग 8-9 प्रतिशत उर्दू भाषी हैं, जिनका सीधे तौर पर ओवैसी की पार्टी के साथ जाना तय माना जा रहा है. बाकी 294 में से करीब 100-110 सीटें ऐसी हैं, जहां अल्पसंख्यक वोटर निर्णायक भूमिका में हैं. ऐसे में टीएमसी के मुसलमान वोटों में सेंधमारी तय मानी जा रही है.माल्दा, मुर्शिदाबाद, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, दक्षिण 24 परगना ये वो जिले हैं, जहां मुसलमान काफी संख्या में हैं और दक्षिण 24 परगना के अलावा बाकी सभी बिहार की सीमा से लगे हैं, जहां पर हुए चुनाव में AIMIM ने पांच सीटें जीतकर अपना लोहा मनवाया है. सिर्फ टीएमसी ही नहीं बल्कि राज्य में खुद सिमट चुकी कांग्रेस को भी उनके माइनॉरिटी वोट खिसकने से चिंता है. माना जा रहा है कि इसी कवायद में कल कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी भी फुरफुरा शरीफ दरगाह पर माथा टेकने पहुंचे.सभी दलों ने एक दूसरे पर लगाए आरोप.टीएमसी के फिरहाद हकीम ने पश्चिम बंगाल में AIMIM के चुनाव लड़ने की बात पर कहा कि ओवैसी बीजेपी के पिट्ठू हैं और ‘वोट कटवा’ हैं. जबकि AIMIM के आसिम वकार ने टीएमसी पर पलटवार करते हुए ममता बनर्जी को भारतीय जनता पार्टी की असली एजेंट कहा है. इस पूरे मामले में बीजेपी के शिशिर बोजोरिया ने कहा, ‘वाम-कांग्रेस दोनों ही अकेले शून्य हैं और साथ लड़ रहे हैं. अगला चुनाव केवल बीजेपी-टीएमसी के बीच है.’
कौशलेन्द्र की रिपोर्ट.