पटना, २३ नवम्बर। आँखें मनुष्य के अंगों में सबसे अनमोल हैं। इनका ख़्याल सबसे अधिक करना चाहिए। नियमित अंतराल पर नेत्र-जाँच कराना और विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार चलना आवश्यक है। हेल्थ इंस्टिच्युट जैसी कल्याणकारी संस्थाएँ ग़रीबों के लिए ईश्वर के वरदान की तरह होती हैं, जो इस तरह के निःशुल्क शिविर लगाकार पीड़ित मानवता की सेवा करती हैं। ऐसे अवसरों का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए।यह बातें, सोमवार को बेउर स्थित इंडियन इंस्टिच्युट औफ़ हेल्थ एडुकेशन ऐंड रि सर्च के ऑफ्थालमोलौजी विभाग की ओर से संस्थान परिसर में आयोजित निःशुल्क नेत्र-जाँच शिविर का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद ने कही। उद्घाटन-समारोह की अध्यक्षता करते हुए, संस्थान के निदेशक-प्रमुख डा अनिल सुलभ ने कहा कि संस्थान द्वारा चलाए जा रहे जन-कल्याण के अन्य कार्यक्रमों के अंतर्गत संस्थान में प्रत्येक सोमवार को निःशुल्क स्वास्थ्य-सुविधाएँ उपलब्ध करायी जा रही हैं । संस्थान परिसर में,फ़िज़ियोथेरापी, स्पीचथेरापी, श्रवण-जाँच, नेत्र जाँच, सभी प्रकार की पैथोलौजिकल जाँच, डिजिटल एक्स-रे, विकलांगता-जाँच समेत अनेक प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हैं । शिविर में १३६ स्त्री-पुरुषों की आँखों की जाँच की गई। इनमे से १४ मोतियाबिंद के, ८ रेफ़्रेक्टिव एरर के, ६ प्रेसबायोपिया के रोगी पाए गए। शेष अन्य में से ज़्यादातर लोग देखने की अन्य समस्याओं से ग्रस्त थे, जिन्हें चश्मा लगाने की आवश्यकता है। ऐसे मरीज़ों को, उनके नेत्र-सामर्थ्य की जाँच कर उचित परामर्श दिया गया।शि